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न्यूज क्लिपिंग्स् | हजारों किसानों को चपत लगने के बाद पता चलेगा, बीज था बेकार

हजारों किसानों को चपत लगने के बाद पता चलेगा, बीज था बेकार

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published Published on Jul 29, 2015   modified Modified on Jul 29, 2015
डॉ. अमरनाथ गोस्वामी, ग्वालियर(मध्‍यप्रदेश)। हर सीजन में बीजों की सैंपलिंग में लेट-लतीफी और जांच में लगने वाले लंबे समय के कारण यह पूरी प्रक्रिया कागजी कवायद बन कर रह गई है। बीज परीक्षण प्रयोगशाला में जब तक इस बात का खुलासा हो पाता है कि बेचा गया बीज अमानक था तब तक किसान के खेतों में फसल पकने की स्थिति में आ चुकी होती है।

ग्वालियर स्थित मध्‍यप्रदेश की इकलौती बीज परीक्षण प्रयोगशाला में प्रयोगशाला सहायकों के चारों पद दो साल से खाली पड़े हैं। स्टाफ की कमी के बीच प्रयोगशाला में मॉनीटरिंग व अन्य काम के लिए नियुक्त शेष अधिकारी ही परीक्षण में लगे रहते हैं। स्टाफ की कमी से जांच की प्रक्रिया और अधिक लंबी हो जाती है। मौजूदा स्थिति में ही लगभग 1000 सैंपल तो पार्सल से बाहर ही नहीं निकाले गए हैं।

उधर सैंपलिंग और जांच रिपोर्ट से बेखबर किसान को बीज के विषय में कुछ पता ही नहीं चल पाता। फसल खराब होने पर वह अपनी ही किस्मत को दोष देकर घर बैठ जाता है। यहां से जाने वाली रिपोर्ट के आधार पर कृषि विभाग जरूर बीज विक्रेता व निर्माता के खिलाफ कार्रवाई कर सकता है। कृषि विभाग की इस कार्रवाई से सीधे तौर पर किसान को कोई फायदा नहीं मिलता।

यह है सैंपलिंग की प्रक्रिया

हर सीजन से पहले कृषि विभाग जिलेबार बीज सैंपलिंग के टारगेट फिक्स करता है। जिले के अधिकारी टारगेट के अनुसार बीज निगम, सहकारी संस्थाओं व निजी विक्रेताओं के यहां औचक निरीक्षण कर सैंपल लेते हैं। मौजूदा खरीफ सीजन में यह सैंपलिंग प्रक्रिया अप्रैल माह से शुरू होकर सितंबर तक चलेगी।

ऐसे होती है जांच

प्रयोगशाला में कोडिंग के जरिए आने वाले सैंपल के 100 दानों को सांचे से या स्वयं गिनकर विशेष रूप से तैयार जर्मिनेशन पेपर पर रखते हैं। जर्मिनेशन पेपर को वैक्स पेपर में लपेटकर एसी रूम में रखा जाता है। यहां तापमान 22 डिग्री व मशीन के जरिए आर्द्रता 75 प्रतिशत नियत रखी जाती है। धान के बीज के अंकुरण प्रतिशत और ग्रोथ की जांच 14 दिन बाद व अन्य बीजों की 8 दिन बाद की जाती है।

इसलिए होती है जांच में देरी

ग्वालियर स्थित बीज परीक्षण प्रयोगशाला में लगातार रिटायरमेंट के कारण प्रयोगशाला सहायकों के चारों पद खाली हो गए हैं। यहां दो साल से कोई प्रयोगशाला सहायक नहीं है। स्टाफ की कमी के बीच निरीक्षण व अन्य कामों के लिए पदस्थ एसएडीओ बीएल राठौर, नरेश कुमार कांकर व अटैचमेंट पर आईं एडीओ मुन्नी तोमर ही प्रयोगशाला सहायकों के स्थान पर सैंपल लगाने का काम करती हैं।

सबसे ज्यादा अमानक बीज सोयाबीन का

अब तक तक की जांच में सबसे ज्यादा सोयाबीन के 43 सैंपल अमानक निकले हैं। अरहर,ज्वार व मक्का का 1-1 सैंपल अमानक पाया गया है।

सहकारिता के 19 सैंपल फेल

जांच के लिए आए सैंपलों में सहकारी समितियों के 19 सैंपल, बीज निगम के 16 तथा निजी कंपनियों के 08 सैंपल फेल हुए हैं।

संभागवार लिए गए सैंपल की स्थिति

संभाग प्राप्त -- नूमने -- जांच हुई -- मानक अमानक

चंबल -- 44-- 27-- 27-- 00

ग्वालियर-- 98-- 54-- 52-- 02

नर्मदापुरम-- 131-- 88-- 85-- 03

इंदौर-- 438-- 376-- 363-- 13

जबलपुर-- 134-- 78-- 72-- 06

उज्जैन-- 365-- 240-- 229-- 11

भोपाल-- 172-- 114-- 109-- 05

शहडोल-- 38-- 07-- 07-- 00

रीवा-- 36-- 29-- 29-- 00

सागर-- 172-- 99-- 93-- 06

योग-- 1628 -- 1112 -- 1066-- 46

नोटः आंकड़े 1 अप्रैल से 20 जुलाई 15 तक की स्थिति में हैं।

बीजों के सैंपल सितंबर माह तक आते हैं। स्टाफ कम होने के कारण एसएडीओ व एडीओ जांच करते हैं। स्टाफ की कमी से काम तो प्रभावित होता ही है। जांच प्रक्रिया के लिए हमें 60 दिन का समय मिलता है, फिर भी हमारा प्रयास होता है कि जल्द से जल्द जांच निपटाएं। -एसएल जादौन, बीज परीक्षण अधिकारी

 

बाजार में बीज आने पर ही सैंपल लिए जा सकते हैं। अमानक बीज पाए जाने पर कृषि विभाग विक्रय, परिवहन प्रतिबंधित करता है। एफआईआर तक कराते हैं। रिपोर्ट आने तक किसानों की फसल पकने की स्थिति में आ जाने को लेकर मैं कुछ नहीं कह सकता,अब जो प्रक्रिया है वो तो है। किसान बीज खरीदी का पक्का बिल लेकर केस दायर कर सकते हैं। - वीडी शर्मा,संयुक्त संचालक कृषि

 


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