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न्यूज क्लिपिंग्स् | हाईब्रिड बीजों से किसानों को 8 करोड़ का नुकसान

हाईब्रिड बीजों से किसानों को 8 करोड़ का नुकसान

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published Published on Oct 15, 2010   modified Modified on Oct 15, 2010
रायपुर.हाईब्रिड बीजों के कारण राज्य के किसान एक बार फिर मुसीबत में हैं। प्याज, गोभी और टमाटर के बाद अब धान के हाईब्रिड बीजों ने किसानों की गाढ़ी कमाई पर पानी फेर दिया है। राज्य सरकार ने शुरुआती जांच में धान के पैदावार में 60 प्रतिशत के नुकसान का अनुमान लगाया है।


इस साल प्रदेश में 1430 हेक्टेयर में हाईब्रिड बीजों से धान की फसल लगी है। बीज निगम ने किसानों को लगभग 35 हजार एकड़ के लिए एनएससी किस्म के धान केआरएस दो के 2152 क्विंटल बीज बेचे थे। उनसे पौधे तो उगे हैं,


लेकिन उनमें दाने नहीं भर रहे। कुछ जगह पौधे छोटे बड़े हैं तो कुछ जगह बालियां काली पड़ गई हैं। इससे किसानों को करीब 8.6 करोड़ रुपए का नुकसान होने की आशंका है। राज्य सरकार ने प्रति हेक्टेयर 12 हजार रुपए क्षतिपूर्ति का आकलन किया है। उसने नेशनल सीड कॉपरेरेशन (एनएससी) से 1.7 करोड़ रुपए किसानों को भरपाई देने का प्रस्ताव भेजा है।


गौरतलब है कि हाईब्रिड धान से प्रति हेक्टेयर 60 से 70 क्विंटल उत्पादन होता है लेकिन कृषि विभाग ने इसका आकलन सामान्य धान की औसत उपज 20 क्विंटल के हिसाब से मुआवजा मांगा है। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है।



दैनिक भास्कर ने राजनांदगांव जिले में धान के हाईब्रिड बीज के आरएस-2 की से हुए नुकसान की खबर प्रमुखता से प्रकाशित की थी। इसके बाद कवर्धा, रायपुर, दुर्ग, महासमुंद सहित कई जिलों से शिकायतें आने का सिलसिला शुरू हो गया। इससे बीज निगम से लेकर नेशनल सीड्स कॉपरेरेशन (एनएससी) के अधिकारियों में खलबली मची हुई है। एनएससी केंद्र सरकार की एजेंसी है।


बीज निगम यह कहकर अपना पल्ला झाड़ रहा है कि उन्होंने एनएससी से बीज लेकर किसानों को बांटे। उधर एनएससी फसल खराब होने का कारण वातावरण को बताकर जिम्मेदारी से बचने की कोशिश कर रही है। बीज निगम ने एनएससी से 11 लॉट में ये बीज मंगाए थे। बीज निगम के अधिकारियों का कहना है कि इनमें से पांच लॉट में शिकायत आई हैं।


इसमें 70 प्रतिशत पौधे छोटे हैं। इनकी बालियों के दाने काले पड़ गए हैं। शेष 30 प्रतिशत बड़े-बड़े हैं, उनमें दाने नहीं आ रहे। वे दूसरी किस्मों के बीज लग रहे हैं। एनएससी जयपुर के अधिकारी डॉ. डीपी सिंह का कहना है कि पूरे देश में इस किस्म के बीज बेचे गए हैं, लेकिन वहां कोई शिकायत नहीं आई। हाईब्रिड बीज बहुत संवेदनशील होते हैं। वे मौसम के उतार-चढ़ाव को ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर पाते।


नुकसान का आकलन कम:

एक हेक्टेयर में 15 क्विंटल हाईब्रिड बीज की बुआई की जाती है। बीज निगम ने 2152 क्विंटल बीज लिए थे। इससे 1430 हेक्टेयर में फसल ली गई जिससे 60-70 क्विंटल उत्पादन का अनुमान रहता है। धान की कीमत 1030 रुपए प्रति क्विंटल है। यानी इससे कुल 86 हजार क्विंटल धान का उत्पादन होता, जिसकी कीमत 8.6 करोड़ रुपए होती।


कृषि विभाग ने 12 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर क्षतिपूर्ति एनएससी से मांगी है। यानी 1.7 करोड़ रुपए ही मिलेंगे। दनिया (दुर्ग) के किसान रामझरोखा पटेल का कहना है कि उन्होंने बीज निगम पर भरोसा करते हुए हाईबिड बीज खरीदे थे। यदि पैदावार नहीं हुई तो भारी नुकसान उठाना पड़ेगा। राजनांदगांव के किसान 50 हजार रुपए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से क्षतिपूर्ति मांग रहे हैं।



जांच टीम ने किया दौरा:


बीज निगम ने हाईब्रिड बीज की शिकायत की जांच के लिए उच्चस्तरीय समिति बनाई है। जांच समिति हफ्तेभर से रायपुर, राजनांदगांव, दुर्ग, महासमुंद सहित अन्य जिलों का दौरा कर रही है। समिति में एनएससी जयपुर के डॉ. डीपी सिंह, भोपाल के असिस्टेंट मैनेजर डा. ए सिवरासन और रायपुर के क्षेत्रीय प्रबंधक विजय सिंह सहित बीज निगम के वीके नागतोड़े, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक और संबंधित जिले के कृषि उपसंचालक शामिल हैं। वे सभी जगह निरीक्षण करके अपनी रिपोर्ट बीज निगम को सौंपेंगे।


हाईब्रिड बीज और रकबा जिला बीज क्षेत्रफल


रायपुर - 170 क्विंटल 2800 एकड़


कवर्धा - 100 क्विंटल 1600 एकड़


राजनांदगांव - 280 क्विंटल 4600 एकड़


रायगढ़ - 200 क्विंटल 3200 एकड़


सरगुजा - 1292 क्विंटल 21500 एकड़


दुर्ग - 100 क्विंटल 1600 एकड़


जांजगीर - 100 क्विंटल 1600 एकड़

http://www.bhaskar.com/article/CHH-RAI-8-million-loss-of-hybrid-seeds-to-farmers-1455019.html


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