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RightBlock | बंपर उत्पादन के बाद भी खुले बाजार में बिकेगा धान

बंपर उत्पादन के बाद भी खुले बाजार में बिकेगा धान

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published Published on Oct 26, 2014   modified Modified on Oct 26, 2014
रायपुर(ब्यूरो)। राज्य सरकार ने आखिरकार स्पष्ट कर दिया कि इस साल किसानों से प्रति एकड़ 10 क्विंटल धान खरीदेगी। इस लिहाज से करीब 58 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होने की संभावना है। बाकी बचा धान किसानों को या तो घर में ही स्टोर करना होगा या फिर राइस मिलर्स को खुले मार्केट में बेचना होगा। सरकार के इस कदम का जबरदस्त विरोध शुरू हो गया है।

पिछले साल धान खरीदी के लिए 15 लाख से अधिक किसानों ने पंजीयन कराया था। इन किसानों के 23 लाख 43 हजार 166.800 हेक्टेयर यानी 57 लाख 90 हजार 067.54 एकड़ जमीन से करीब 80 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई।

पिछले साल अलग-अलग क्षेत्रों में सर्वे के बाद प्रति एकड़ धान खरीदी की दर तय की गई थी। यह दर 20 क्विंटल प्रति एकड़ तक थी। इस बार 10 क्विंटल प्रति एकड़ दर तय कर दी गई है। इस लिहाज से सरकार 58 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी कर सकती है। इस बार सरकार ने यह कहकर धान कम खरीदने की घोषणा की है कि राज्य सरकार के पास पहले ही धान पर्याप्त मात्रा में है। नई खरीदी के बाद धान को रखने की समस्या से जूझना पड़ेगा, जिससे नुकसान बढ़ेगा।


केंद्र के आदेश का साया

कम धान खरीदी के पीछे केंद्र सरकार के आदेश को कारण माना जा रहा है। केंद्र सरकार के सर्कुलर में स्पष्ट किया गया है कि खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग उतना ही चावल खरीदेगा, जितना पीडीएस के लिए जरूरी होगा। बाकी धान राज्य सरकार को अपने खर्च पर खरीदना और स्टोर करना होगा। केंद्र सरकार बोनस भी केवल उतने ही धान पर देगी, जितना वह पीडीएस के लिए खरीदेगी।


क्या होगा बंपर फसल का ?

इधर मानसून में देरी के बावजूद कई इलाकों में धान की बंपर फसल होने की संभावना है। इस बार जानकारों का कहना है कि उत्पादन 90 लाख मीट्रिक टन से अधिक होगा। अनुकूल बारिश से छत्तीसगढ़ में धान की फसल लहलहा रही है। हालांकि हुदहुद से कुछ फसलों को नुकसान हुआ है। जानकारों की माने तो यह नुकसान बहुत अधिक नहीं है। किसानों, खेती के जानकारों का मानना है कि यदि मौसम की अनुकूलता बनी रही तो इस साल भी छत्तीसगढ़ में धान की बंपर फसल होगी। ऐसे में करीब 30 लाख मीट्रिक टन से अधिक धान किसानों को औने-पौने रेट में खुले बाजार में बेचना पड़ेगा।

मौसम की मार से अलग परेशानी

प्रदेश में इस वर्ष खरीफ फसल की खेती खासी उतार-चढ़ाव से भरी रही। बारिश के मौसम की शुरुआत में मानसून एक महीने देरी से आई तो किसानों के चेहरे पर अकाल पड़ने की आशंका से चिंता की लकीरें खिंच गई थीं। देर से आने के बाद मानसून कुछ जिलों में इतना अधिक बरसा की फसलें पानी में डूब गईं। वहीं इस दौरान कई किसानों के कच्चे-पक्के मकान भी ढहने की सूचना आई। पिछले हफ्ते आए हुदहुद तूफान से भी काफी मात्रा में फसल को नुकसान हुआ है।

एक-एक दाना खरीदने का वादा किया था

- सरकार ने चुनाव जीतने के लिए किसानों का एक-एक दाना खरीदने का वादा किया था। अब अपने वादे से मुकर रही है। किसानों को अपना धान खुले बाजार में औने-पौने रेट में बेचना पड़ेगा। ऐसा नहीं होने देंगे। पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन करेंगे। सरकार को पूरा धान खरीदने पर मजबूर कर देंगे।

डॉ. संकेत ठाकुर, प्रदेश संयोजक, आप

मिल-बैठकर विचार करना चाहिए

- धान खरीदी के मामले प्रदेश भाजपा और उनके विधायक दल को मिल-बैठकर विचार करना चाहिए। भाजपा ने विधानसभा चुनाव 2013 के चुनावी घोषणापत्र में धान का समर्थन मूल्य 2100 स्र्पए प्रति क्विंटल किए जाने का प्रयास और अगले पांच साल तक 300 स्र्पए प्रति क्विंटल बोनस देने का प्रस्ताव शामिल किया था, लेकिन नए सत्र में इसमें कटौती कर दी गई है। यह कहीं से उचित नहीं है।

ललित चंद्रनाहू, संयोजक, किसान मजदूर संघ


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