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ईशनिंदा को अब अलविदा!- सुभाष गताडे

इंडोनेशिया की चीनी मूल की बौद्ध महिला मैलाना (उम्र 44 साल) को बहुत कम लोग जानते होंगे. कुछ माह पहले ही वह इंडोनेशिया के अखबारों में सूर्खियों में रही, जब वहां के विवादास्पद ईशनिंदा कानून के तहत उसे दो माह की सजा सुनायी गयी. सुमात्रा द्वीप की रहनेवाली इस महिला का ‘जुर्म' इतना ही था कि उसने अपने स्थानीय मस्जिद से दी जा रही अजान की तेज आवाज के बारे...

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बौद्धिक स्वतंत्रता और राष्ट्रहित- मणींद्र नाथ ठाकुर

ऐसा क्या हो गया है कि भारत के बुद्धिजीवियों को राष्ट्रविरोधी होने का खिताब मिल रहा है? क्या स्वतंत्र चिंतन, सरकारी नीतियों की आलोचना राष्ट्रहित में नहीं है? आखिर उन्हें क्यों लगता है कि व्यवस्था गरीबों के हित में नहीं है? और यदि यह सही है, तो फिर व्यवस्था को ठीक करने का क्या उपाय किया जा सकता है? क्या यह भारतीय बुद्धिजीवियों का दायित्व नहीं है कि वे...

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शक का दायरा और पुलिस की सोच-- विभूति नारायण

ढाई-तीन दशक पहले की एक शाम आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी से गपियाते हुए मुझे दो दिलचस्प तथ्य पता चले। पहला तो यह कि अलिखित नियमों के तहत आईबी यानी भारत की सबसे महत्वपूर्ण खुफिया संस्था इंटेलिजेंस ब्यूरो में किसी मुस्लिम आईपीएस अफसर को नहीं लिया जाता। यह कोई ढका-छिपा सच नहीं था। मुझे भी पता था, पर दिलचस्प इसलिए कह रहा हूं कि उन दिनों नौकरशाही के सबसे बड़े...

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तूतीकोरिन के बाद की राजनीति-- एस श्रीनिवासन

पिछले महीने की 22 तारीख को तूतीकोरिन स्थित स्टर्लाइट इंडस्ट्रीज के खिलाफ शुरू हुआ 100 दिनों का धरना-प्रदर्शन अचानक हिंसक हो उठा था। आरोप है कि प्रदर्शनकारियों के एक धड़े ने सरकारी अधिकारियों पर पेट्रोल बम फेंका और पुलिस पर हमला किया, जिसके जवाब में पुलिस ने गोलियां दागीं और इसके कारण 13 लोग मारे गए। उस दिन वास्तव में क्या हुआ था, इसके कई दावे और कई कहानियां हैं।...

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मीडिया की आजादी के सवाल-- एम वेंकैया नायडू

जानवर और इंसान में यही फर्क है कि इंसान कुछ नियमों से संचालित होता है, जो व्यवस्थित जीवन की जरूरी शर्त है, अन्यथा तो एक जंगल राज होगा, जहां बलशाली ही राज करता है। व्यवस्थित जीवन का मतलब है, एक तरह का संवाद संतुलन, जो किसी एक घटक को किसी भी स्तर पर निरंकुश होने का अधिकार नहीं देता। आजादी कैसी भी हो, आत्मसंयम मांगती है। भारतीय संविधान कुछ मौलिक...

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