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आमदनी की गांरटी : सरकार की इच्छाशक्ति से ही संभव, जानें क्या है न्यूनतम आय गारंटी योजना व यूबीआइ?

प्रो अरुण कुमार अर्थशास्त्री इस समय सारा देश गांधीजी की 150वीं जयंती वर्ष मना रहा है. गांधी ने कहा था कि अंतिम व्यक्ति की तरफ हमें ध्यान देना चाहिए. इस ऐतबार से यह एक उपयुक्त समय है राहुल गांधी के उस बयान के संदर्भ में कि अगर केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनेगी, तो वह गरीबों के लिए न्यूनतम आय गारंटी योजना लायेगी. यह एक दार्शनिक बात हो गयी कि कोई...

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पर्यावरण की चिंता जरूरी-- जगदीश रत्तनानी

विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) लगभग आधी सदी पुरानी संस्था है. यह खुद को सार्वजनिक-निजी सहयोग करनेवाले अंतरराष्ट्रीय संगठन के रूप में पेश करती है और वैश्विक आर्थिकी सुधारने के लिए प्रतिबद्ध है. अपने सफर की शुरुआत में इस मंच ने विश्व की एक हजार प्रमुख कंपनियों के लिए सदस्यता की एक व्यवस्था बनायी थी. स्वाभाविक है कि इसने अपने सालों के सफर में भविष्य पर विचार करने के लिए महंगी...

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कांग्रेस रोज़गार देने में अच्छी नहीं थी, लेकिन मोदी सरकार में हालात और बदतर हो गए: अमर्त्य सेन

नई दिल्ली: नोबेल पुरस्कार विजेता व अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा कांग्रेस रोजगार पैदा करने में सफल नहीं साबित हुई है लेकिन मोदी सरकार ने हालात और बदत्तर बना दिए हैं. इंडिया टुडे के साथ एक विशेष साक्षात्कार में अमर्त्य सेन ने कहा आर्थिक असमानता का समाधान आरक्षण नहीं हो सकता है. उन्होंने आगे कहा, ‘हम आर्थिक अवसरों के माध्यम से ही आय असमानता की समस्या से निपट सकते हैं.' उन्होंने स्वतंत्रता...

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भारत के 9 अमीरों के पास है 50 फीसदी आबादी के बराबर संपत्ति: रिपोर्ट

दावोस: भारतीय अरबपतियों की संपत्ति में 2018 में प्रतिदिन 2,200 करोड़ रुपये का इजाफा हुआ है. इस दौरान, देश के शीर्ष एक प्रतिशत अमीरों की संपत्ति में 39 प्रतिशत की वृद्धि हुई जबकि 50 प्रतिशत गरीब आबादी की संपत्ति में महज तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. ऑक्सफैम ने अपने अध्ययन में यह बात कही. रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के शीर्ष नौ अमीरों की संपत्ति पचास प्रतिशत गरीब...

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मौलिक अधिकारों का संघर्ष जारी, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार चार्टर के 70 साल

मनुष्यों के लिए नागरिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकार मौलिक मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं. विभिन्न रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्षरत है और मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार है. मानवाधिकार के पक्ष में आवाज बुलंद करने की जरूरत को समझते हुए कई देश संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में 70 साल पहले एकजुट...

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