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मनरेगा से बने चेकडैम से 10 गुणा तक बढ़ी ग्रामीणों की आमदनी

-डाउन टू अर्थ, जालौन जिले के मीगनी ग्राम पंचायत के तहत आने वाले हिम्मतपुरा और मीगनी गांव की तस्वीर बदलने में मनरेगा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसका सबसे अधिक फायदा दलित और वंचित तबकों को पहुंचा है। इसे हिम्मतपुरा गांव से समझा जा सकता है। गांव में सभी निवासी दलित समुदाय के हैं। इस गांव में साल 2004 में परमार्थ समाजसेवी संस्था की मदद से एक चेकडैम बनाया गया था।...

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पातालकोट में पौष्टिक अनाजों की खेती -बाबा मायाराम

“हमारे इलाके में परंपरागत देसी बीज लुप्त हो रहे थे, लेकिन अब हम उनको बचा रहे हैं, उनकी खेती कर रहे हैं। इससे सालभर के भोजन के लिए अनाज तो मिलता ही है, बाजार में भी बेच लेते हैं।” यह ज्ञान शाह भारती थे, जो पातालकोट के घाना कौड़िया गांव के निवासी हैं। पातालकोट, मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले की तामिया तहसील में है। यह सतपुड़ा की पहाड़ियों के बीच स्थित है।...

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मोदी सरकार के आने बाद से नहीं हुआ किसानों की आमदनी का सर्वे

-न्यूजलॉन्ड्री, एक तरफ जहां केंद्र सरकार साल 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने की बात कर रही है वहीं दूसरी तरफ साल 2013 के बाद से राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने किसानों की आय को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रकाशित नहीं की है. यानी नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद से किसानों की आमदनी को लेकर कोई सर्वेक्षण नहीं किया गया है. बीते 8 फरवरी को कई सांसदों ने सामूहिक...

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आत्मनिर्भर खेती की ओर - बाबा मायाराम

“पहले मैं रासायनिक खेती करता था, लेकिन इससे धीरे-धीरे मेरे खेत की मिट्टी जवाब देने लगी, उत्पादन कम होने लगा। इसके बाद मैंने जैविक खेती शुरू की। जैविक खाद व जैव कीटनाशक बनाना सीखा। खेती में अच्छा उत्पादन लिया, मिट्टी में सुधार हुआ। अब मैं दूसरों को भी जैविक खेती करने के लिए प्रशिक्षण देता हूं।” यह ओडिशा के सुदाम साहू थे, जो बरगढ़ जिले के कांटापाली गांव में रहते...

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पड़ताल: एमएसपी पर सरकार बनाम किसान, कौन किस सीमा तक सही?

-न्यूजक्लिक, नए कृषि क़ानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन के मोर्चे पर एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) को लेकर किसान और सरकार आमने-सामने हैं। एमएसपी के निर्धारण और उसके आधार पर फ़सलों को ख़रीदने की सुनिश्चितता को लेकर इन दिनों एक लंबी बहस चल रही है। लेकिन, इस पूरी बहस के परिपेक्ष्य में कई ऐसे बिंदू छूट रहे हैं जिन पर किसानों को संदेह बढ़ता जा रहा है और इसलिए वे...

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