झारखंड के लातेहार जिले के डबलू सिंह के परिवार की दुर्दशा वर्तमान खाद्य-नीतियों की विसंगतियों को जितनी मार्मिकता से उजागर करती है उतनी शायद कोई और बात नहीं करती। जीविका के लिए मुख्य रुप से दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर आदिवासी युवक डबलू, तकरीबन दो साल पहले, काम करते वक्त छत से गिर पडा और उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। जीवनभर के लिए अपंग हो चुके डबलू को हर वक्त...
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चेंदरू चरित- राजकुमार सोनी(तहलका)
जो लोग हरक्यूलिस साइकिल की सवारी को जानदार मानते हुए वाल्व वाले रेडियो से प्रसारित होने वाली खबरों पर यकीन करते रहे हैं वे थोड़ा -बहुत तो जानते हैं कि चेंदरू कौन है और उसने क्या कमाल किया था. बहुत दावे के साथ तो नहीं कहा जा सकता लेकिन उन लोगों का परिचय भी चेंदरू की दुनिया से हो सकता है जो कभी मधु मुस्कान या चकमक जैसी पत्रिकाओं के...
More »नियति है मौत!- (रिपोर्ट निराला, तहलका)
बिहार के मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के दो-तीन जिलों के कुछ ग्रामीण क्षेत्रों में इस बार फिर जून का महीना जानलेवा साबित हुआ. रहस्यमयी बीमारी की चपेट में आकर 60 से अधिक बच्चे काल के गाल में समा गए. इस बीमारी और बीमारी के बहाने प्रभावित इलाके के साथ स्वास्थ्य महकमे की पड़ताल करती निराला की रिपोर्ट आंखों देखी-कानों सुनी दोपहर करीब साढ़े तीन बजे का समय. मुजफ्फरपुर शहर का केजरीवाल मातृ...
More »बीड़ी पत्ते में धुआं-धुआं ज़िंदगी -- सारदा लहांगीर
“छो...छोको भूंजी लोक पतर तुड़ले लागसी भोक....” ( हम लोग गरीब भुंजिया आदिवासी, पत्ता तोड़ते हुए भूख लगती है ) नुआपाडा जिले के सीनापाली गांव में रहने वाली 55 वर्षीय पहनी मांझी को जंगल में तेदूपत्ता तोड़ते हुए जब भूख लगती है तो वो अपना ध्यान बंटाने के लिए यहीं उड़ीया लोकगीत गुनगुनाती हैं. तेंदूपत्ता अप्रैल और मई महीने की चिलचिलाती धूप में जब हम अपने वातानुकुलित कमरे में बैठे आराम फरमा...
More »इंसानियत हुई शर्मसार, मां की कोख से फर्श पर गिरा बच्चा
हजारीबाग। हजारीबाग के सदर अस्पताल की संवेदनहीनता और लापरवाही के कारण रविवार को एक मां की गोद सूनी हो गई। उसका जिस्म प्रसव वेदना से तड़पता रहा। वह चीखती चिल्लाती रही। परिजन उसे एडमिट करने के लिए गिड़गिड़ाते रहे। डॉक्टरों का दिल जरा भी नहीं पसीजा। आखिर जब गर्भवती की पीड़ा आंखों से बहने को हुई तो उसने दीवार का सहारा ले लिया। उसके बाद धड़ाम की आवाज हुई। उसके पैर के...
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