भारत में शिक्षा को एक रामबाण औषधि के रूप में हर मर्ज की दवा मान लिया गया और उसके विस्तार की कोशिश शुरू हो गई बिना यह जाने-बूझे कि इसके अनियंत्रित विस्तार के क्या परिणाम होंगे? सामाजिक परिवर्तन की मुहिम शुरू हुई और भारतीय समाज की प्रकृति को देशज दृष्टि से देखे बिना हस्तक्षेप शुरू हो गए। दुर्भाग्य से ये हस्तक्षेप अंग्रेजी उपनिवेश के विस्तार ही साबित हुए हैं। स्मरणीय...
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ऐसे तो नहीं बचेंगी बेटियां-- रीता सिंह
नीति आयोग का यह खुलासा चिंतित करने वाला है कि देश के इक्कीस बड़े राज्यों में से सत्रह राज्यों में जन्म के समय लिंगानुपात में गिरावट दर्ज हुई है। नीति आयोग ने अपनी ‘हेल्दी स्टेट्स एंड प्रोग्रेसिव इंडिया' रिपोर्ट में कहा है कि सबसे चिंताजनक हालत गुजरात की है जहां सबसे ज्यादा तिरपन अंकों की गिरावट दर्ज हुई है। जबकि हरियाणा में पैंतीस अंक, राजस्थान में बारह अंक, उत्तराखंड में...
More »महिला विकास की बातें हैं, बातों का क्या! - मृणाल पांडे
इस समय जब वसंत अलविदा ले रहा है और एक नया संवत्सर दहलीज पर खडा है, वाक्वीर सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार ने सरकार के सालाना आर्थिक सर्वेक्षण मसौदे को पहली बार एक गुलाबी जिल्द में प्रस्तुत किया। पर यह गौरतलब है कि उस मसौदे के अनुसार भारत की अपेक्षित कुल आबादी में से 6 करोड़ तीस लाख महिलाएं गायब हैं। इस गैरहाजिरी की जो मोटी वजह प्राप्त आंकड़ों से...
More »मात्तृत्व बनाम सफलता की सीड़ियां-- विशेष गुप्ता
आजकल आइटी क्षेत्र से जुड़ी कुछ खास कंपनियों में महिला कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने पर काफी जोर है। आंकड़े भी बताते हैं कि भारत में ऐसी कंपनियों में कार्यरत महिलाओं की संख्या एक तिहाई को पार कर गई है। आज तमाम आइटी कंपनियों में महिला कर्मी पुरुष कर्मियों के मुकाबले अपनी बेहतर कार्यक्षमता के साथ आगे आई हैं। ‘इंडिया इंक' का रुझान भी आजकल इन कारोबारी कंपनियों में ज्यादा से...
More »आर्थिक विषमता के बीच विकास का सच-- राजकुमार सिंह
एक और गणतंत्र दिवस के जश्न की तैयारी। विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की शक्ति और शौर्य का राजपथ पर शानदार प्रदर्शन होगा। हमेशा की तरह भारतवासी तो इसके साक्षी बनेंगे ही, अंतर्राष्ट्रीय संगठन आसियान के दस सदस्य देशों के राष्ट्र प्रमुख भी इस मौके पर खास मेहमान होंगे। बेशक स्वतंत्रता दिवस और गणतंत्र दिवस हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं। हमें इन्हें समारोहपूर्वक मनाना ही चाहिए। अपनी उपलब्धियों पर गर्व...
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