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रिपोर्ट : 2028 तक भारत होगा दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी टूरिज्म इकोनॉमी, मिलेंगी 1 करोड़ नई नौकरियां

वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) ने देश की जीडीपी और पर्यटन से होने वाली आय के विश्लेषण के आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है। गुरुवार को जारी की इस रिपोर्ट के अनुसार भारत 2028 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकोनॉमी बन सकता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक 2028 तक देश में लगभग 1 करोड़ नई नौकरियां भी आएंगी। साथ ही ट्रैवल और टूरिज्म में सीधे और अप्रत्यक्ष...

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तीसरी तिमाही में 7.2% रही GDP, चीन को पछाड़ पहले पायदान पर पहुंचा भारत

केंद्र की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए बुधवार को अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर एक अच्छी खबर आई है। 2018 की तीसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.2 फीसद रही है। इससे पिछली तिमाही में 6.3 फीसद रही थी। जीडीपी की इस रफ्तार के बूते भारत ने चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। इस विकास दर के साथ ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने...

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केपटाउन कहीं भी दस्तक दे सकता है -- अनिल प्रकाश जोशी

दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन की जल त्रासदी चौंकाने से ज्यादा डराने वाली है। यह दुनिया के बेहतरीन शहरों में से एक माना जाता है और हमेशा अपनी खूबसूरती के लिए चर्चा में रहा है। लेकिन आज केपटाउन दूसरी वजह से सुर्खियों में है। यहां पानी का संकट अपने चरम पर पहुंच चुका है। पिछले एक दशक से वैसे भी यह शहर पानी की किल्लत से गुजर ही रहा था और...

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अपनी जड़ों को खोजते वे भारतवंशी- बद्री नारायण

हिंदी पट्टी ने ब्रिटिश उपनिवेश काल में अनेक मुसीबतें झेलीं। इनकी दो मुसीबतें अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं, जिन्होंने मिलकर हिंदी क्षेत्र का वर्तमान रचा है। एक तो 1857 का विद्रोह, दूसरा गिरमिटिया विस्थापन, जिसे प्रवास, उत्प्रवास कुछ भी कहा जा सकता है। भोजपुरी के प्रसिद्ध नाटककार भिखारी ठाकुर ने इसे बिदेसिया हो जाना भी कहा है। 19वीं सदी में दास प्रथा की समाप्ति के बाद दुनिया में आक्रामक रूप से...

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आशंकाओं के निराधार तर्क-- नंदन नीलेकणि

यह संभव नहीं कि चित और पट, दोनों आपकी ही हो। अर्थशास्त्री इसे ‘समझौता' कहते हैं। आप हर वक्त दो विरोधी मतों के बीच संतुलन बिठाते हैं। मसलन, 18वीं सदी के अंत तक या तो आप चार पहियों वाली घोड़ागाड़ी की सवारी कर सकते थे, जो धीरे-धीरे, लेकिन आपको एक सुविधाजनक यात्रा कराती, या फिर घोड़े की पीठ की सवारी करते थे, जिसमें आप मंजिल तक तेज तो पहुंच जाते,...

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