जनसत्ता 22 अगस्त, 2013 : भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष जस्टिस मार्कंडेय काटजू काफी दिनों से पत्रकारिता की तुलना वकालत और डॉक्टरी आदि जैसे पेशों से करते आ रहे हैं।उनका तर्क है कि अन्य सभी पेशों के लिए कुछ न कुछ योग्यता तय है। पर पत्रकार कोई भी बन जाता है! पांच-छह महीने पहले उनके इस आशय के बयानों पर काफी विवाद हुआ तो विस्तृत रिपोर्ट और सुझाव देने के लिए उन्होंने...
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लूट की छूट- आशीष खेतान
छत्तीसगढ़ में प्राकृतिक संसाधनों का अकूत भंडार है, लेकिन ऐसा लगता है कि इसका फायदा सिर्फ उन्हीं लोगों को हो रहा है जिन पर मुख्यमंत्री रमन सिंह की कृपादृष्टि है. आशीष खेतान की रिपोर्ट. साल 2011 की बात है. दीवाली का मौका था. छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में चर्चित अखबार ‘पत्रिका’ के स्थानीय संपादक गिरिराज शर्मा के पास एक विशेष उपहार पहुंचा. राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह के कार्यालय की तरफ से...
More »122 साल की समतुल निशा का इंतकाल
जमशेदपुर : देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद और प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के नजदीकी रहे महरूम ताजुद्दीन खान की बेवा समतुल निशा का 122 साल (परिवारवालों के अनुसार) की उम्र में मंगलवार को इंतकाल हो गया. समतुल निशा के शव को जाकिरनगर कब्रिस्तान में सुपूर्द-ए-खाक किया गया. आजादी की जंग में जहां ताजुद्दीन ने डॉ राजेंद्र प्रसाद के साथ मिलकर अंगरेजों के खिलाफ संघर्ष किये थे वहीं देश के जवाहरलाल...
More »'अगर सच बोलना देशद्रोह है तो मैं देशद्रोही हूं'
विवादित कार्टून बनाकर चर्चा में आए असीम त्रिवेदी की गिरफ्तारी का विरोध शुरु हो गया है। प्रेस काउंसिल के चेयरमैन मार्कंडेय काटजू ने असीम की गिरफ्तारी की आलोचना की है। काटजू ने असीम के समर्थन में कहा है कि असीम ने कुछ भी गैरकानूनी नहीं किया है। लोकतंत्र में कई बातें कही जाती हैं। कुछ सही होती हैं कुछ गलत। वहीं, इंडिया अगेंस्ट करप्शन समेत तमाम कलाकारों और साहित्यकारों ने...
More »एक मूर्खता से उठी आंधी- एम जे अकबर
सार्वजनिक जीवन में कौन-सा अपराध बड़ा है, भ्रष्टाचार या मूर्खता? इस सवाल का जवाब देने के लिए आप समय ले सकते हैं. अगर भ्रष्टाचार राजनीतिक मृत्युदंड होता, तो यूपीए कैबिनेट का अधिकांश हिस्सा 2009 के चुनावों में जीत हासिल नहीं करता. संभवत: भ्रष्टाचार का आकलन उसके फैलाव से किया जाता है. जब भ्रष्टाचार का स्नेहक बड़ी लूट में तब्दील हो जाता है, तब वोटर तय करता है कि अब बहुत हो...
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