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‘अब श्रमिक स्पेशल ट्रेन का और इंतज़ार नहीं होता, सफ़र की तारीख नहीं मिली तो पैदल ही चल देंगे’

-द वायर,  विभिन्न राज्यों में फंसे हुए मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलाई हैं, लेकिन इस सफर के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने में प्रवासी श्रमिकों को काफी जद्दोजहद करनी पड़ रही है. हाल यह है कि रजिस्ट्रेशन करने के दस दिन बाद भी उनकी यात्रा सुनिश्चित नहीं हो पा रही है. यही कारण है कि प्रवासी श्रमिक ट्रेन में बारी आने का इंतजार...

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बिहार सरकार ने मजदूरों को आने से रोका

-इंडिया टूडे, लॉकडाउन की वजह से दुर्गति झेल रहे मजदूर की परेशानी कम होने की जगह बढ़ती जा रही है. हजारों की तादाद में सैकड़ों किलोमीटर दूर अपने घरों के लिए पैदल निकले मजदूरों को पुलिस और प्रशासन की प्रताड़ना से दो-चार होना पड़ा बल्कि सरकार के हाथों भी वह ठगा महसूस कर रहे हैं. 1 मई को मजदूर दिवस के मौके पर गृहमंत्रालय ने मजदूरों को राज्यों की आपसी सहमति से...

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लॉकडाउन: खाली पेट ऑटो से 1400 किलोमीटर का सफ़र

न्यूजलॉन्ड्री, तीसरी बार लॉकडाउन बढ़ाने के बाद गृह मंत्रालय ने मजदूरों को शहर से उनके घरों तक जाने का आदेश दे दिया है. जिसके बाद कई राज्य सरकारें मजदूरों को बसों और ट्रेनों के जरिए अपने राज्य में वापस बुला रही हैं, लेकिन सरकार द्वारा देरी से लिए गए इस फैसले ने मजदूरों को ऐसे हाल में पहुंचा दिया जिसे वे कभी याद करना नहीं चाहेंगे और भूल भी नहीं सकते. लॉकडाउन...

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लॉकडाउन की वजह से बहुत सी जानें ऐसी गईं जिन्हें बचाया जा सकता था, इनमें मजदूरों की संख्या सबसे ज्यादा

-गांव कनेक्शन,  कोरोना महामारी से लोगों की जान बचाने के लिए लगभग पूरा देश बंद है। इसी बंदी (लॉकडाउन) में लाखों वे लोग भी फंसे हैं, जिनका जहां पर हैं वहां रहना उनके लिए संभव नहीं है। प्रवासी कामगारों, मजदूरों की वापसी पिछले कुछ दिनों से लगातार चर्चा में है। श्रमिक स्पेशल ट्रेन चली हैं, बसें चलाई गईं हैं, लेकिन इन सबके बीच एक रिपोर्ट में सामने आया है कि लॉकडाउन...

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लॉकडाउन में फंसे प्रवासी मजदूरों के सामने खाने का संकट, मानवाधिकार संगठनों ने मांगा सबके लिए मुफ्त राशन

-गांव कनेक्शन,  "हम अगले 20 दिन क्या, 50 दिन भी यहीं रूक जाएं, लेकिन हमें खाने के लिए राशन-पानी तो मिले," लॉकडाउन बढ़ने के सवाल पर हेमंत पोद्दार कहते हैं। हेमंत (30 वर्ष) बिहार के कटिहार जिले के निवासी हैं और मुंबई के बांद्रा इलाके में रहकर निर्माण मजदूर का काम करते हैं। उनके साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के लगभग 600 मजदूर उनके इलाके में रहते हैं, जिसका...

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