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शहरीकरण के बढ़ते खतरे--- देवेंद्र जोशी

अनियोजित शहरीकरण आज किसी एक प्रदेश की नहीं, बल्कि पूरे देश की समस्या है। आजादी के सत्तर सालों में जहां कस्बे शहर, शहर नगर और नगर महानगर बनते चले गए, वहीं गांवों की स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया। गांव आज भी गांव ही है। वही आबोहवा, आंचलिक संस्कृति, एक-दूसरे के सुख-दुख में हिस्सा बंटाने का आत्मीय भाव, अभाव में भी संतुष्टि और इस सबसे बढ़ कर छोटी-सी घटना...

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पितृसत्ता का हिंसात्मक उत्सव--- राजू पांडेय

जब महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने पिछले साल बयान दिया था कि बलात्कार के मामलों में भारत उन चार देशों में सम्मिलित है, जहां सबसे कम बलात्कार होते हैं, तो उनकी बड़ी आलोचना हुई थी। हालांकि मेनका गांधी का कथन अंशत: सही था। प्रति एक लाख जनसंख्या पर होने वाले बलात्कार के प्रकरणों की दर की बात करें तो भारत में इसकी दर 2.6 है। उनतीस अन्य...

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बिहार शराबबंदी : मानवाधिकार आयोग के अनुसार महिलाओं के उत्पीड़न में कमी

बदलाव : बिहार मानवाधिकार आयोग के अनुसार कम आ रहे हैं अब ऐसे मामले पटना : शराबबंदी के बाद बिहार की तस्वीर बदली है, यह कहने में कोई हर्ज नहीं. महिलाओं से जुड़े अपराधों में कमी आयी है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो के आंकड़े पहले ही इस बात की पुष्टि कर चुके हैं. नयी सूचना यह है कि बिहार मानवाधिकार आयोग के आंकड़े भी इस पर मुहर लगा रहे...

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अनजाने में हुआ शारीरिक संपर्क यौन उत्पीड़न नहीं: दिल्ली हाईकोर्ट

दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को एक मामले में महत्वपूर्ण आदेश देते हुए कहा कि अनजाने में किसी महिला के शरीर को छुआ जाना यौन शोषण के तहत नहीं आता, जब तक की दूसरे व्यक्ति की ऐसी कोई मंशा न हो। जस्टिस विभु बाखरु की पीठ ने यह टिप्पणी भी की कि दुर्घटनावश ऐसी घटना को यौन शोषण की परिधि में लाना सही नहीं है। सीआरआरआई के एक वैज्ञानिक की चुनौती...

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बाघ तो बच रहे हैं...पर बेटियां!! - मृणाल पांडे

खबर है कि गए सालों में हमारे देश में बाघों की तादाद बढ़ी है, लेकिन खबर यह भी है कि इस दौरान 0 से 6 साल की उम्र की बच्चियों की तादाद तेजी से घटी है। बाघ हमारा राष्ट्रीय पशु है और आरक्षित श्रेणी में आता है। पर उसकी खाल, हड्डी, दिल, गुर्दा सबको एशियाई बाजारों में भारी मुनाफे पर बेचा जा सकता है इसलिए पिछले सालों में लालची तस्करों...

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