एक ऐसे समय में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 'सबका साथ, सबका विकास" की भावना के साथ देश-विदेश में भारत की छवि को चमकाने और देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने तथा उसमें सुधार की पुरजोर कोशिश में लगे हुए हैं, तब दूसरी ओर देश में राष्ट्रीय मीडिया के एक बड़े हिस्से और खासकर टीवी चैनलों और कुछ अखबारों में नकारात्मक खबरों को न केवल अत्यधिक महत्व दिया जा रहा...
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इस अतिवाद का मुकाबला कैसे करें- योगेन्द्र यादव
एक ही महीने में राष्ट्रपति ने दूसरी बार सहिष्णुता की याद दिलाई है। प्रधानमंत्री ने भी दादरी में अखलाक की हत्या पर अफसोस जता दिया है। और तो और, अमित शाह ने बीजेपी के बड़बोले नेताओं को फटकार लगा दी है। कई लोग सोच रहे होंगे कि अब और क्या चाहिए? मन ही मन कह रहे होंगे कि अब तो दादरी वाले इस मुद्दे को खत्म करो। टीवी चैनलों के न्यूज...
More »धर्मनिरपेक्ष नेतृत्व की चुप्पी का फल-- राजदीप सरदेसाई
सुधींद्र कुलकर्णी से बहुत पहले निखिल वागले और आपके इस मामूली स्तंभकार जैसे कई लोग शिवसेना के शिकार बन चुके हैं। 1991 में शिवसेना ने भारत-पाक क्रिकेट शृंखला के विरोध में वानखेड़े स्टेडियम का पिच खोद दिया था। मैंने इसकी कठोरतम शब्दों में आलोचना करते हुए लेख लिखा। जहां मैं काम करता था उस टाइम्स ऑफ इंडिया, मुंबई के दफ्तर के बाहर काले झंडे दिखाए गए, अपशब्द कहे गए, लेकिन...
More »विकास और जाति का गणित- नीलांजन मुखोपाध्याय
एक बात पर आम सहमति है कि बिहार विधानसभा का चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए काफी अहम होगा। चूंकि विभिन्न कारणों से केंद्र सरकार को कई नाकामियों का सामना करना पड़ा है, इसलिए बिहार के चुनाव में जीत उन्हें उससे उबरने में मदद कर सकती है। इसके विपरीत, अगर बिहार में भाजपा का प्रदर्शन आशानुरूप नहीं रहता, तो नीतिगत पंगुता की स्थिति पैदा होगी और प्रधानमंत्री मोदी की छवि...
More »भूकंप के बाद की चुनौतियां - शशांक
नेपाल की आपदा बहुत बड़ी प्राकृतिक त्रासदी है। हालांकि संवेदनशील क्षेत्र होने के कारण नेपाल ही नहीं, भारत भी भूकंप से निपटने की तैयारियां काफी समय पहले से कर रहा है। नेपाल के साथ तो हमारे प्रशिक्षण कार्यक्रम भी चलते रहे हैं। मगर विगत शनिवार को जितने बड़े क्षेत्र में यह जलजला आया, उसने वहां की सरकार और जनता, दोनों को पूरी तरह हिलाकर रख दिया है। वैसे अच्छी बात...
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