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भविष्य के शिक्षक, शिक्षकों का भविष्य-- हरिवंश चतुर्वेदी

आज के दिन देश के लाखों स्थानों पर स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या डॉ राधाकृष्णन की कल्पना के अनुरूप आज भी समाज में शिक्षक और शिक्षा के पेशे को हम वह सम्मान दे पाए हैं, जो उन्हें मिलना चाहिए? हम इंजीनियरों, डॉक्टरों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आईएएस, आईपीएस, नेताओं, उद्योगपतियों, साधु-संतों और फिल्मी अभिनेताओं से मिलकर जितना गद्गद् होते हैं और सेल्फी लेने...

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क्या हम केरल की बाढ़ से सबक लेंगे-- एस श्रीनिवासन

आखिरी समाचार मिलने तक केरल की बाढ़ लगभग 400 लोगों को निगल चुकी है। करीब 10 लाख लोगों को इसके कारण बेघर होना पड़ा है और निजी व सरकारी संपत्तियों के नुकसान का आंकड़ा तो हजारों करोड़ में पहुंचेगा। एक बार जब बारिश थमेगी और राज्य सरकार अपनी अर्थव्यवस्था, इन्फ्रास्ट्रक्चर और जन-स्वास्थ्य को फिर से पटरी पर लाने का काम शुरू करेगी, तब उसे कहीं गंभीर समस्याओं का सामना करना...

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विकसित देश बनने के लिए सिर्फ़ एक दशक का समय, ​शिक्षा पर ध्यान देने की ज़रूरत: एसबीआई

मुंबई: भारत के पास अपनी स्थिति को बदलकर विकसित देशों की कतार में शामिल होने के लिए सिर्फ एक दशक का वक्त है. इसके लिए भारत को शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होगी. अगर वह इस मोर्चे पर विफल हुआ तो देश की युवा आबादी का लाभ नुकसान में बदल जाएगा. भारतीय स्टेट बैंक की शोध शाखा ने अपनी रिपोर्ट में यह बात कही. रिपोर्ट के अनुसार, नीति-निर्माताओं को...

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मानव तस्करी को रोकना जरूरी-- क्रेग एल हॉल

क्तियों की तस्करी, जिसे मानव तस्करी या आधुनिक गुलामी के रूप में भी जाना जाता है, एक छिपा हुआ अपराध है, जो किसी सीमा का लिहाज नहीं करता और दुनियाभर के देशों में सभी पृष्ठभूमि के लोगों को प्रभावित करता है. भारत और अमेरिका ने व्यक्तियों, खासतौर पर महिलाओं और बच्चों की तस्करी को प्रतिबंधित, दमित और दंडित करने के प्रोटोकॉल को, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के...

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बैंकिंग व्यवस्था में सुधार जरूरी-- अश्विनी महाजन

पिछले दिनों खबर आयी कि बीते पांच साल के दौरान भारत में 23 हजार बैंक धोखाधड़ियां हुईं, जिसके चलते एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की धनराशि फंस गयी है. निश्चित रूप से इसका असर हमारी अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और बैंकिंग व्यवस्था पर तो यह असर दिख भी रहा है. आज बैंक ही वित्तीय मध्यस्थता का स्रोत हैं. ऐसे लोग जिनके पास अतिरिक्त पैसा होता है, चाहे वे गृहस्थ हों,...

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