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ग्रामीण भारत को ‘मेगा पुश’- प्रमोद जोशी

मोदी सरकार ने चार राज्यों के चुनाव के ठीक पहले राजनीतिक जरूरतों का पूरा करनेवाला बजट पेश किया है. इसमें सबसे ज्यादा जोर ग्रामीण क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर, रोजगार और सामाजिक कल्याण के कार्यक्रमों पर है. राजकोषीय घाटे को 3.5 प्रतिशत रखने के बावजूद सोशल सेक्टर के लिए धनराशि का इंतजाम किया गया ोहै. अजा-जजा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन कार्यक्रम भी इसका संकेत देते हैं.  बजट का संदेश है कि अमीर ज्यादा...

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आधार कार्ड को सांविधिक मान्यता दिलाने को बनेगा कानूनः जेटली

सरकार ने आधार को सांविधिक दर्जा दिलाने का निर्णय लिया है ताकि यह सुनिश्चित हो कि सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी का फायदा सीधा जरूरतमंदों के खाते में पहुंचाने की विधिवत व्यवस्था सुनिश्चित की जा सके। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को 2016-17 का आम बजट पेश करते हुए कहा, हम कानून पारित करने समेत महत्वपूर्ण सुधार करेंगे ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आधार मंच को सांविधिक...

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रोजगार बढ़ाने पर जोर, 'स्‍कि‍ल इंडिया' को लेकर प्रावधान

नई दिल्ली। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट में रोजगार सृजन को लेकर प्रमुख घोषणाएं की हैं। साथ ही उन्‍होंने सरकार के अभियान 'स्‍कि‍ल इंडिया' को लेकर भी बजट में कई प्रावधान किए हैं। भारत सरकार ईपीएफओ में अपना नामांकन करने वाले सभी नए कर्मचारियों के लिए उनके रोजगार के पहले तीन सालों के लिए 8.33 प्रतिशत के अंशदान का भुगतान करेगी। इस स्‍कीम हेतु 1000 करोड़ का बजट प्रावधान किया गया...

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आर्थिक समीक्षा 2015-16 की प्रमुख बातें

संसद में शुक्रवार को पेश वित्त वर्ष 2015-16 की आर्थिक समीक्षा की मुख्य बातें इस प्रकार हैं। - जीडीपी की वृद्धि 2016-17 में 7-7.5 प्रतिशत रहेगी। - चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7.6 प्रतिशत रहेगी, यदि निर्यात में तेज बढ़ोतरी हो तो दीर्घकाल में संभावित वृद्धि की क्षमता 8-10 प्रतिशत तक। - वैश्विक स्तर पर निराशा के वातावरण में भारत स्थिरता की भूमि। - कच्चे तेल का भाव अगले वित्त वर्ष में 35...

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देशप्रेम और देशद्रोह के बीच बजट-- पुष्पेश पंत

किसी भी सरकार के लिए बजट बनाना अौर उसे पास कराना एक बड़ी चुनौती होती है. यदि यह वित्तीय विधेयक पास नहीं होता, तो इसे सदन के विश्वास का अभाव समझा जाता है अौर सरकार गिर सकती है.  अगर बजट पास भी हो जाये अौर उसके प्रावधानों से जनता में असंतोष फैलता है, तब भी किसी सरकार के लिए अपने जनाधार को बरकरार रखना कठिन होता जाता है. हर नयी...

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