विकसित देशों के मुकाबले भारत में कृषि क्षेत्र में बेहद कम तकनीकों का इस्तेमाल होता है. हालांकि, निवेश और नीतिगत इच्छाशक्ति की कमी भी इसके कारक हैं, लेकिन खेती के पिछड़ जाने का बड़ा कारण तकनीकों का अभाव माना जा रहा है. धीरे-धीरे ही सही, पर अनेक प्रयासों से इसमें बदलाव आ रहा है और भारतीय खेती डिजिटाइजेशन की राह पर बढ़ती दिख रही है. आज के आलेख में पढ़िये...
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लाखों की नौकरी छोड़ बच्चों का स्कूल खोला
मुजफ्फरपुर : आइआइएम, लखनऊ से पढ़ाई और इंफोसिस व जेडएस जैसी नामी कंपनियों में नौकरी, जिसमें हर माह वेतन के रूप में लाखों का पैकेज, लेकिन ये सब छोड़ मधुबनी की बेटी और मुजफ्फरपुर की बहू गरिमा विशाल ने बच्चों को पढ़ा कर समाज को बदलने का रास्ता चुना. उन्होंने डेजाऊ नाम से बच्चों का स्कूल खोला है, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों पर विशेष जोर दिया...
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मुजफ्फरपुर : आइआइएम, लखनऊ से पढ़ाई और इंफोसिस व जेडएस जैसी नामी कंपनियों में नौकरी, जिसमें हर माह वेतन के रूप में लाखों का पैकेज, लेकिन ये सब छोड़ मधुबनी की बेटी और मुजफ्फरपुर की बहू गरिमा विशाल ने बच्चों को पढ़ा कर समाज को बदलने का रास्ता चुना. उन्होंने डेजाऊ नाम से बच्चों का स्कूल खोला है, जिसमें आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों पर विशेष जोर दिया...
More »क्या कृत्रिम वर्षा कराने से प्रदूषण कम होगा-- भारत डोगरा
वह कोहरा फिर से दिल्ली, एनसीआर ही नहीं उत्तर भारत के कई हिस्सों में छाता जा रहा है, जो धुएं से मिलकर एक खतरनाक मिश्रण बनता है, जिसे स्मॉग कहते हैं। यह स्मॉग ट्रेनों, वायुयानों और सामान्य ट्रैफिक के आवागमन में बाधा तो पैदा करता ही है, साथ ही प्रदूषण को एक खतरनाक स्तर तक ले जाता है। सर्दी आते ही इन तमाम शहरों के बच्चे-बूढ़े सब इसी स्मॉग के...
More »आखिर क्यों पीछे रह जाते हैं मध्यप्रदेश के विद्यार्थी?
डॉ. जयंतीलाल भंडारी। हाल ही में नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग (एनसीईआरटी) के नेशनल एचीवमेंट सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि मध्यप्रदेश के स्कूलों में विद्यार्थी हर विषय की पढ़ाई में राष्ट्रीय औसत से भी कमजोर हैं। सर्वे में यह भी कहा गया है कि प्रदेश में प्रायवेट स्कूलों के मुकाबले सरकारी स्कूलों के बच्चे और अधिक कमजोर हैं। प्रदेश में शिक्षा की गुणवत्ता में कमी...
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