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फैक्ट चैक : कोरोनावायरस लॉकडाउन में मोदी सरकार के दस बड़े झूठ

-कारवां, 24 मार्च को जब केंद्र सरकार ने नोवेल कोरोनावायरस के प्रसार को रोकने के लिए राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा की तो सरकार के प्रतिनिधियों और मंत्रियों ने अपनी राजनीति को सही ठहराने और आलोचना से पल्ला छुड़ाने के लिए जनता के बीच लगातार आधी-अधूरी और झूठी बातें प्रचारित की. अधिकारियों ने जो दावे किए उनमें से कई जमीनी रिपोर्टों से मेल नहीं खाते. देश के कई हिस्सों में भूख और भुखमरी...

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कोविड-19 लॉकडाउन : गुजरात में प्रवासी मज़दूरों पर दर्ज मामले ‘मानव अधिकारों का उल्लंघन हैं’

-न्यूजक्लिक, 18 मई को, गुजरात की राजधानी अहमदाबाद में 35 प्रवासी श्रमिकों को कथित तौर पर दंगा, पथराव और बर्बरता का तांडव करने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था। करीब 100 प्रवासी मज़दूर लॉकडाउन में घर वापस भेजने के इंतजाम की मांग करते हुए पुलिस से भिड़ गए थे। उनमें से पैंतीस मज़दूरों को महामारी रोग अधिनियम और आपदा प्रबंधन अधिनियम का उल्लंघन करने के लिए हिरासत में ले लिया...

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लॉकडाउन के बाद छत्तीसगढ़ लौटे 40 हजार प्रवासी मजदूरों का रिकॉर्ड नहीं, कम्युनिटी स्प्रेडिंग रोकने के लिए लगाया जा रहा पता

-द प्रिंट, छत्तीसगढ़ सरकार के अनुमान के मुताबिक मार्च में हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद से राज्य लौटे तकरीबन 40 हजार प्रवासी मजदूरों का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का मानना है कि कोरोना संक्रमण के इस दौर में यह घातक साबित हो सकता है और ‘कम्युनिटी स्प्रेडिंग‘ को भी बढ़ावा दे सकता है. राज्य के स्वास्थ्य विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘दूसरे...

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निजी अस्पताल में सरकारी पैसे से इलाज की छूट लेकिन निजी परिवहन से यात्रा करने पर सरकारी लाभ से वंचित

-जनचौक, पिछले तीन माह में यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना वायरस महामारी को रोकने में सरकार लगभग हर मोर्चे पर असफल रही है। न केवल सरकार कोरोना वायरस संक्रमण के तेजी से बढ़ते फैलाव को रोकने में असमर्थ रही है बल्कि उसके ही कारण देश के अधिकाँश लोगों को संभवतः सबसे बड़ी अमानवीय त्रासदी झेलनी पड़ी है। सरकार की असंवेदनशील, अल्प-कालिक और संकीर्ण सोच के कारण करोड़ों लोगों के...

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फंसे श्रमिकों की सूचना न देने से सीआईसी नाराज़, श्रम मंत्रालय को डेटा अपडेट करने को कहा

-द वायर,  कोरोना वायरस को लेकर देश में लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों के संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत जानकारी देने से मना करने पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नाराजगी जाहिर की और श्रम मंत्रालय को अपनी वेबसाइट पर इस संबंध में अधिक से अधिक डाटा अपलोड करने के लिए कहा है. केंद्रीय सूचना आयुक्त वनजा एन. सरना ने मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी) कार्यालय...

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