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महामारी के बाद बच्चों की तस्करी की घटनाएं बढ़ीं; यूपी, बिहार, आंध्र प्रदेश शीर्ष पर: अध्ययन

द वायर, 1 अगस्त एक अध्ययन के अनुसार, राजस्थान की राजधानी जयपुर पिछले छह वर्षों में देश में तस्करी वाले बच्चों के लिए सबसे प्रमुख स्थान के रूप में उभरा है. ‘गेम्स24×7’ और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेंस फाउंडेशन (केएससीएफ) द्वारा बीते रविवार (30 जुलाई) को यह अध्ययन रिपोर्ट जारी की गई है. ‘चाइल्ड ट्रैफिकिंग इन इंडिया: इनसाइट्स फ्रॉम सिचुएशनल डेटा एनालिसिस एंड द नीड फॉर टेक ड्रिवेन इंटरवेंशन स्ट्रेटजीज’ शीर्षक वाली रिपोर्ट 30...

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‘बेटी बचाओ’ के नारे के बीच 3 साल के भीतर गायब हुईं 13 लाख से ज्यादा महिलाएं और बच्चियां!

गाँव सवेरा, 31 जुलाई देश में 2019 से 2021 के बीच तीन साल के भीतर 13.13 लाख लड़कियां और महिलाएं लापता हुई हैं जिनमें से सबसे अधिक मध्यप्रदेश की हैं. लापता महिलाओं की संख्या के लिहाज से पश्चिम बंगाल दूसरे स्थान पर है. वहीं केंद्र शासित राज्यों में दिल्ली जम्मू के बाद चंडीगढ़ में सबसे ज्यादा महिलाएं और बच्चियां लापता हुई हैं. चंडीगढ़ में 4590 बच्चियां और महिलाएं लापता हुई हैं. गृह...

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बाघों की बढ़ती आबादी को संभालने में कितने सक्षम हैं भारत के जंगल

मोंगाबे हिंदी, 31 जुलाई पांच दशक पहले की बात है, देश में बाघों की पहली गिनती के नतीजों ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी थी। बाघों की आबादी घटकर 1,827 पर आ गई थी। यह संख्या 20वीं सदी के शुरू में अनुमानित 20,000-40,000 से काफी कम थी। इसी खतरे को भांपते हुए 1973 में ‘प्रोजेक्ट टाइगर’ शुरू किया गया। यह कार्यक्रम आज भी भारत में बाघों को बचाने...

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विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोजेक्ट टाइगर की सफलता को और भी बढ़ाया जा सकता था

द थर्ड पोल, 28 जुलाई भारत में प्रोजेक्ट टाइगर को शुरू हुए 50 साल से अधिक हो चुके हैं। मौजूदा वक्त में भारत, दुनिया के 75 फीसदी जंगली बाघों का घर है। बाघों की स्थिति को लेकर 2022 की एक रिपोर्ट के अनुसार 2018 से 2022 के बीच इनकी संख्या 2,967 से बढ़कर 3,167 हो गई है। हालांकि यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि संख्या में बढ़ोतरी के बावजूद...

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बांग्लादेश में बढ़ता जलवायु विस्थापन, भारत के लिए चेतावनी

कार्बनकॉपी, 24 जुलाई बांग्लादेश में जलवायु शरणार्थियों की संख्या बढ़ रही है। अभी वहां 71 लाख शरणार्थी हैं जिनकी संख्या 2050 तक 1.33 करोड़ हो सकती है। बांग्लादेश में विस्थापितों को बसाने के लिये पर्याप्त उपयुक्त जमीन नहीं है। कृषि और रोजगार चौपट होने से यह शरणार्थी भारत का रुख कर रहे हैं। भारत में नेपाल, श्रीलंका और बांग्लादेश से शरणार्थियों का दबाव बढ़ेगा। कौशल विकास के जरिए विस्थापितों को अन्य देशों में रोजगार...

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