डाउन टू अर्थ, 06 नवम्बर नवंबर की शुरुआत में एक ही दिन के भीतर दिल्ली-एनसीआर में पीएम 2.5 का स्तर आश्चर्यजनक तरीके से 68 प्रतिशत तक बढ़ गया। यह बात सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) ने अपने एक नए विश्लेषण में कही है। विश्लेषण में कहा गया है कि यह प्रदूषण अति गंभीर स्थिति को दर्शाता है। सीएसई का कहना है कि इस गंभीर स्थिति के बाद दिल्ली और एनसीआर में...
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जानलेवा पीएम : बच्चों की अटक रहीं सासें, अस्पतालों में लगी हैं लंबी कतारें
डाउन टू अर्थ, 06 नवम्बर दिल्ली में श्वसन संबंधी समस्याओं को लेकर अस्पताल के ओपीडी और इमरजेंसी में 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों की कतार लगी हैं। दिल्ली के खतरनाक प्रदूषण के बीच बच्चों के अस्पतालों या वार्डों में डरावना दृश्य दिखाई दे रहा है। दिल्ली के गीता कॉलोनी स्थित एकमात्र सरकारी बाल चिकित्सालय चाचा नेहरू अस्पताल (सीएनबीसी) में इमरजेंसी बेड पर 3 साल का विशाल प्रजापति बिल्कुल सुस्त...
More »घटते भूजल के कारण राजस्थान के किसानों के लिए सोलर पंप का इस्तेमाल कर पाना हुआ मुश्किल
मोंगाबे हिंदी, 06 नवम्बर इस साल जून में जैसे ही तापमान बढ़ा, राजस्थान के झुंझुनू जिले के बदनगढ़ गांव में रहने वाले 69 साल के किसान जमन सिंह सैनी की मुसीबतें भी बढ़ने लगीं थीं। वह अपने 31 एकड़ के बाजरा खेत की सिंचाई एक इलेक्ट्रिक पंप से करने की कोशिशों में लगे थे। उनके सामने कई चुनौतियां थीं, मसलन अनियमित बिजली की आपूर्ति, वोल्टेज में उतार-चढ़ाव और उससे जुड़े खर्चे। हालांकि...
More »खतरे में हिल स्टेशन: क्या जोशीमठ के 'सबक' आ सकते हैं काम?
डाउन टू अर्थ, 3 नवम्बर मॉनसून 2023 बीत चुका है और हर सीजन की तरह यह मॉनसून हिमालयी राज्यों को नए जख्म दे गया। बल्कि हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को तो ऐसे जख्म दे गया कि जो कई साल तक सालते रहेंगे। साल 2023 की शुरुआत जोशीमठ आपदा से शुरू हुई थी। जोशीमठ ने देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके बाद मॉनसून के दौरान हिमाचल...
More »घटते भूजल के कारण राजस्थान के किसानों के लिए सोलर पंप का इस्तेमाल कर पाना हुआ मुश्किल
मोंगाबे हिंदी, 3 नवम्बर इस साल जून में जैसे ही तापमान बढ़ा, राजस्थान के झुंझुनू जिले के बदनगढ़ गांव में रहने वाले 69 साल के किसान जमन सिंह सैनी की मुसीबतें भी बढ़ने लगीं थीं। वह अपने 31 एकड़ के बाजरा खेत की सिंचाई एक इलेक्ट्रिक पंप से करने की कोशिशों में लगे थे। उनके सामने कई चुनौतियां थीं, मसलन अनियमित बिजली की आपूर्ति, वोल्टेज में उतार-चढ़ाव और उससे जुड़े खर्चे। हालांकि...
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