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पीएम केयर्स फंड अपनी सुविधा से पब्लिक अथॉरिटी हो जाता है और अपनी सुविधा से ही पब्लिक ट्रस्ट

-सत्याग्रह, बीती 13 जून को खबर आई कि पीएम केयर्स फंड के ऑडिटर का फैसला हो गया है. इन खबरों का स्रोत इस फंड की वेबसाइट ही थी. इस पर दर्ज एक प्रश्नावली में जानकारी दी गई थी कि पीएम केयर्स फंड को एक स्वतंत्र ऑडिटर द्वारा ऑडिट किया जा रहा है और यह जिम्मा दिल्ली की एक सीए फर्म सार्क एंड एसोसिएट्स को सौंपा गया है. इसी प्रश्नावली में एक...

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राजनीति से प्रेरित है दिल्ली हिंसा की पुलिस जांच : अपूर्वानंद

-कारवां, अपूर्वानंद दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी के प्रोफेसर होने के साथ एक मानव अधिकार कार्यकर्ता भी हैं. उन्होंने नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी सरकार के तहत हिंदुत्व के उभार पर बेबाकी से लिखा और बोला है. पिछले साल दिसंबर में जब नागरिकता संशोधन कानून और राष्ट्रीय नागरिक पंजिका के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन हो रहे थे तो अपूर्वानंद ने इस कानून के खिलाफ निरंतर आवाज उठाई. साथ ही वह...

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क्यों पूरे देश में फ़सलों का एक न्यूनतम समर्थन मूल्य होने से किसानों का नुकसान है

-द वायर, केंद्र सरकार ने हाल ही में रबी सीजन 2020-21 के लिए धान, ज्वार, बाजरा, मक्का समेत विभिन्न फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तय कर दिया है. सरकार का दावा है कि उसने लागत का डेढ़ गुना एमएसपी निर्धारित किया है, हालांकि हकीकत ये है कि मोदी सरकार ने कम लागत मूल्य के आधार पर एमएसपी तय की है. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों को सी2 लागत पर डेढ़...

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फंसे श्रमिकों की सूचना न देने से सीआईसी नाराज़, श्रम मंत्रालय को डेटा अपडेट करने को कहा

-द वायर,  कोरोना वायरस को लेकर देश में लॉकडाउन के चलते दूसरे राज्यों में फंसे श्रमिकों के संबंध में सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून के तहत जानकारी देने से मना करने पर केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) ने नाराजगी जाहिर की और श्रम मंत्रालय को अपनी वेबसाइट पर इस संबंध में अधिक से अधिक डाटा अपलोड करने के लिए कहा है. केंद्रीय सूचना आयुक्त वनजा एन. सरना ने मुख्य श्रम आयुक्त (सीएलसी) कार्यालय...

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अमीरों-नेताओं के चुनावी बॉन्ड की छपाई और बैंक कमीशन का ख़र्च करदाता उठा रहा: आरटीआई

-द वायर,   देश के विभिन्न वर्गों द्वारा चुनावी बॉन्ड पर सवाल उठाए जाने और सुप्रीम कोर्ट में इसकी वैधता को चुनौती देने वाली याचिका लंबित होने के बावजूद केंद्र की मोदी सरकार इसकी छपाई जारी रखे हुए है. आलम ये है कि अब तक में करीब 19,000 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड की छपाई हो चुकी है और कुल 13 चरणों में 6200 करोड़ रुपये से ज्यादा के चुनावी बॉन्ड की बिक्री...

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