स्थायी विकास पर हुए रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन के मसले पर दुनिया के 100 देशों के प्रमुखों ने संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन को स्वीकार किया था, लेकिन आज 23 वर्ष बाद दुनिया एक बार फिर से चौराहे पर खड़ी है कि आगे के कदम किस तरह उठाए जाएं। कई देश चाहते हैं कि सभी देशों की जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए उन्हें एक कानूनी संधि से जोड़ा अथवा...
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...जहां महिलाएं कर रहीं हैं वनों की रक्षा
हिमालयी क्षेत्र में खूबसूरत नजारे वाले लाहौल स्पीति घाटी में 1980 के दशक में एक आंदोलन शुरू हुआ था। महिला कार्यकर्ताओं ने वनों की रक्षा में इस आंदोलन को शुरू किया था। बौद्ध आबादी बहुल इस क्षेत्र में महिलाओं के इस श्रम ने रंग लाया। इस आंदोलन की शुरुआत कवारिंग पंचायत में शुरू हुई, जहां की आबादी 112 थी। इसमें महिलाओं की संख्या 64 थी। बाद में यह आंदोलन घाटी के...
More »का वर्षा जब कृषि सुखाने!- प्रकाश कुमार रे
नयी दिल्ली : मौसम विभाग के ताजा आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अब तक मॉनसून की वर्षा में दीर्घकालिक औसत की तुलना में 43% कमी रही है. उधर, मौसम का आकलन करनेवाली प्राइवेट संस्था स्काइमेट ने पिछले दिनों आशंका जाहिर की थी कि देश में सूखे की आशंका 60% तक बढ़ गयी है. संस्था ने अप्रैल में इस आशंका को 25} तक रखा था. ऐसे में देश के सामने...
More »अगले 2-3 दिनों में उत्तर भारत में बारिश की संभावना, मक्के की बुआई पिछड़ी
भारतीय मौसम विभाग के मुताबिक अगले तीन से चार दिनों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर के अन्य हिस्सों में मानसून पहुंचने की संभावना है। ताजा आंकड़े बता रहे हैं कि 6 जुलाई से मानसून पूर्व, केंद्रीय और उत्तरी भारत में सक्रिय हो सकता है। कम बारिश का असर खेती पर साफ दिखने लगा है। इसके चलते जून में खरीफ फसलों की बुआई पिछड़ गई है।...
More »ऊर्जा प्रदेश की खोज में- धीरेन्द्र शर्मा
करीब तीन महीने पहले उत्तराखंड में जब तबाही मची, तो एक राष्ट्र के रूप में हम ऐसी हिमालयी आपदा के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन तब भी कुछ पर्यावरणविदों ने यह घोषणा करने में देर नहीं लगाई कि अनियोजित मानवीय गतिविधियों ने इस आपदा को न्योता दिया है। कुछ ने कहा कि जलविद्युत परियोजनाओं ने मानव जीवन को खतरे में डाल दिया है। सुरंगों के लिए पहाड़ों में किए जाने वाले विस्फोट ने...
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