भारत में समाचारों के आस्वाद की दुनिया तेजी से बदली है : लोगों का समाचारों पर से विश्वास घटा है और समाचार के पाठकों की दुनिया की एक बड़ी तादाद को आशंका सताती है कि सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपने राजनीतिक विचारों का इजहार किया तो उन्हें अधिकारी-वर्ग से परेशानी उठानी पड़ेगी. अंग्रेजी भाषी पाठकों के बीच किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक टेलिविजन, अखबार या फिर रेडियो नहीं बल्कि समाचार हासिल करने...
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वनबंधु कल्याण योजना: 100 करोड़ का बजट घटा कर एक करोड़ किया गया, ख़र्च नहीं हो रही राशि
नई दिल्ली: तारीख पे तारीख. ये अकेला डायलॉग भारतीय न्यायिक व्यवस्था की कहानी बता देता है. ठीक इसी तरह का एक शब्द भारतीय शासन व्यवस्था में काफी प्रचलित है. इस शब्द का नाम है ‘योजना'. सरकारें सोचती हैं कि योजना बना दो, विकास हो जाएगा. योजनाएं बनती हैं, पैसा आवंटित होता है और फिर उसके बाद योजनाओं को स्थानीय अधिकारियों के भरोसे क्रियान्वयन के लिए छोड़ दिया जाता है. पिछले 70 सालों...
More »ऑस्ट्रेलिया में अडाणी की कोयला परियोजना को झटका, फिंच पक्षी के संरक्षण से संबंधित योजना ख़ारिज
मेलबर्नः ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड प्रांत की सरकार ने विलुप्तप्राय प्रजाति के फिंच पक्षी के संरक्षण से संबंधित अडाणी की प्रबंधन योजना को ख़ारिज कर दिया है. प्रशासन का कहना है कि अरबों डॉलर की प्रस्तावित खदान परियोजना मंजूरी के लिए आवश्यक शर्तों पर खरा नहीं उतरता. इसके साथ ही कंपनी की विवादित कारमाइकल कोयला खदान परियोजना अनिश्चितकाल के लिए टल सकती है. शुक्रवार को स्थानीय मीडिया की खबरों में इसकी जानकारी...
More »नोटबंदी के दौरान लाई गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के पैसे का क्या हुआ, सरकार को नहीं पता
नई दिल्ली: सोचिए. अगर भारत में गरीब न होते तो क्या होता? कुछ होता या न होता लेकिन इतना तो तय था कि हमारी राजनीति काफी नीरस हो जाती. ये गरीब ही हैं, जिनकी वजह से भारत की राजनीति इतनी दिलचस्प बनी हुई है. चाहे वो इंदिरा गांधी का गरीबी हटाओ का नारा हो या मनमोहन सिंह का मनरेगा हो या फिर नरेंद्र मोदी द्वारा शुरु की गई प्रधानमंत्री गरीब कल्याण...
More »‘सरकार हमें पानी और गंदगी की समस्याओं से आगे बढ़ने दे तो शिक्षा या दूसरी चीज़ों के बारे में सोचें’
वर्तमान चुनावों के संदर्भ में टीवी चैनलों के लिए भले ही हिंदू-मुस्लिम, पाकिस्तान, राष्ट्रवाद, चौकीदार आदि सबसे ज़रूरी मुद्दे हों, पर देश की राजधानी दिल्ली में एक ऐसा इलाक़ा भी है जहां के क़रीब 70 हज़ार लोग पीने के पानी, गंदगी आदि से जुड़ी बुनियादी समस्याओं से आए दिन जूझ रहे हैं. यह इलाका संजय कॉलोनी है, जो दक्षिणी दिल्ली में आने वाले ओखला इंडस्ट्रियल एरिया का हिस्सा है. 1977 में...
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