ग्लोबल वार्मिंग के इस दौर में ग्लेशियरों का पिघलना कोई अचरज की बात नहीं रह गई है। हर साल ग्लेशियरों का दायरा सिकुड़ने और समुद्र की सतह कुछ उठ जाने के आंकड़े आते रहते हैं। मगर उससे भी महत्त्वपूर्ण बात अब तक ग्लेशियरों के बचाव की दिशा में कोई महत्त्वपूर्ण कदम नहीं उठाया जाना है। मौजूदा हालात में सर्वाधिक चिंता का विषय यही है। अभी हाल के वाडिया इंस्टीट्यूट...
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ग्लोबल वार्मिंग के खिलाफ खड़ा एक गांव-- पंकज चतुर्वेदी
एक छोटा-सा गांव, जिसकी आजीविका और अर्थव्यवस्था पर्यटन से चलती हो, उसने पर्यावरण के खतरे को महसूस किया। उसने मान लिया कि प्रकृति है, तभी उसका जीवन है, और इसके लिए जरूरी है कि जीवनशैली सुधारी जाए। यह है सिक्किम से 125 किलोमीटर दूर उत्तरी सिक्किम का गांव लाचेन। गांव ने तय किया है कि अब वहां न बोतल में बंद पानी आएगा, न प्लास्टिक या थर्मोकोल के डिस्पोजेबल बर्तन।...
More »आलू में छिपे खजाने को कब पहचानेंगे-- रमेश कुमार दूबे
अपने राजनीतिक बयानों को लेकर जब-तब चर्चा में रहने वाले कांग्रेस पार्टी के उपाध्यक्ष राहुल गांधी के आलू की फैक्टरी लगाने वाले बयान ने खासी सुर्खियां बटोरीं। कोई इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ‘मेक इन इंडिया' मुहिम पर व्यंग्य बता रहा है तो कोई राहुल गांधी की राजनीतिक अपरिपक्वता करार दे रहा है। यदि राजनीति से परे हट कर देखा जाए तो भारत में आलू की चर्चा नकारात्मक संदर्भों में...
More »सूखे की आशंका के बीच बारिश होने से सुधरी खेती
रायपुर, ब्यूरो। छत्तीसगढ़ में सूखे की आशंका के बीच पिछले कुछ दिनों से हो रही लगातार बारिश से धान सहित खरीफ की फसलों की स्थिति सुधरी है। वहीं, लगातार बारिश के कारण जल्दी पकने वाले धान व सोयाबीन की फसल को नुकसान भी पहुंचने की आशंका जताई जा रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों का दावा है कि फिलहाल खेती को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है। यदि ऐसी ही लगातार...
More »मौसम वैज्ञानिकों का अलर्टः 2 साल बाद इस बार फिर पड़ेगी कड़ाके की सर्दी
इस बार मानसून की तरह सर्दी भी अपना असर दिखाएगी। वजह यह है कि इस बार समुद्र में भारतीय मौसम को प्रभावित करने वाली हलचलें नहीं हो रही हैं, इसलिए अनुमान है कि इस बार ज्यादा ठंड पड़ेगी। प्रशांत महासागर में पिछले दो-तीन सालों से लगातार अल नीनो बन रहा था। नतीजा यह था कि समुद्र की सतह गर्म हो जाती है, जिसका असर भारत के मानसून पर तो पड़ता ही...
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