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मस्तिष्क ज्वर का कहर : रक्त और फ्लूइड का नमूना ले लौट गई विशेषज्ञ टीम

पटना. इंसेफ्लाइटिस के कारणों का पता लगाने के लिए केंद्रीय विशेषज्ञ टीम ने मुजफ्फरपुर से पीडि़त बच्चों के रक्त और सेरेब्रो स्पाइनल फ्लूइड का नमूना लिया। नमूना लेनेवाली पूणे के राष्ट्रीय विषाणु संस्थान (एनआईवी) और नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल (एनसीडीसी) की टीम ने शनिवार को पटना में स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव व्यासजी से मुलाकात की। व्यासजी ने बताया कि राष्ट्रीय विषाणु संस्थान से दस दिनों में जांच रिपोर्ट मिलेगी।...

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वृद्धावस्था पेंशन के पक्ष में कुछ और तथ्य..

ठीक उसी वक्त जब मीडिया के हमारे मित्रगण कुछ और प्रमाणों की खोज में जुटे थे, आईएलओ(अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन) की एक नई रिपोर्ट में वृद्धावस्था-पेंशन और देश की बेहतरी के बीच विभिन्न तथ्यों के आलोक में संबंध स्थापित किया गया है। आईएलओ की रिपोर्ट “ वर्ल्ड सोशन सिक्यूरिटी रिपोर्ट 2010/11: प्रोवाइडिंग कवरेज इन टाइम्स ऑव क्राइसिस एंड बियान्ड ” में भारत की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं का तन्कीदी जायजा लिया गया है। (रिपोर्ट निम्नलिखित लिंक पर...

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गरीबी, खाद्य सुरक्षा और कैश ट्रांसफर- रितिका खेड़ा

कुछ महीने पहले योजना आयोग की गरीबी रेखा पर काफी चर्चा हुई हैं. उच्चतम न्यायलय में दायर हलफनामे में योजना आयोग ने कहा कि 2011 की सरकार की गरीबी रेखा- ग्रामीण क्षेत्रों में 26 रुपए और शहरी क्षेत्रों में 32 रुपए- जीवनयापन यानी खाना, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए पर्याप्त है. आज से पहले किसी भी सरकार ने यह दावा नहीं किया कि गरीबी रेखा जीवन बिताने के लिए पर्याप्त...

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टीडीआर-टीबी की सभी दवाएं बेअसर!

नई दिल्ली. टोटल ड्रग रेजिस्टेंस (टीडीआर) टीबी को दबाने की केंद्र सरकार की कोशिश नाकाम हो गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की जांच रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मुंबई में टीडीआर-टीबी के 12 में से 6 मरीजों पर रोकथाम की सभी दवाएं बेअसर हैं। ये मामले जनवरी में पहली बार सामने आने पर मंत्रालय की जांच टीम ने इन्हें एक्सट्रीम ड्रग रेजिस्टेंस (एक्सडीआर) टीबी का नाम देकर रफा-दफा करने की कोशिश...

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इंडिया और भारत के उपभोक्ता- मृणाल पांडेय

उपभोक्तावाद पर कई बेदिमाग टिप्पणियों से यह भी साफ झलकता है कि कई महानगरीय लेखकों की नजर अहं भरी है। उनकी राय है कि गांव या कसबे का बेचारा मनई पूरी तरह बाजार के हाथों की कठपुतली बन नाच रहा है। शहरी बड़े भैया लोगों का यह तर्क आगे जाकर शहरों, खासकर बड़े शहरों के उपभोक्ता को एक अनैतिक उपभोगवादी बाजार बंधु और ग्रामीण मजूर किसानों का खतरनाक वर्ग शत्रु...

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