देश में तेजी से औद्योगिक केंद्र के रूप में उभर रहे छत्तीसगढ़ में इन दिनों मिनी स्टील प्लांट की हड़ताल से लोहा उद्योग की रफ्तार पर तो ब्रेक लग ही गया है साथ ही इसके चलते हजारों मजदूरों के सामने आजीविका का संकट खड़ा हो गया है. प्रियंका कौशल की रिपोर्ट. इन दिनों छत्तीसगढ़ में मिनी स्टील प्लांट सरकार से जीवनदान की याचना कर रहे हैं. राज्य सरकार से विशेष राहत...
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सबकी धरती, सबका हक- प्रियंका दुबे
लापोड़िया और रामगढ़ की कहानी देश में चौतरफा फैले जल संकट का समाधान तो सुझाती ही है, लेकिन उससे भी बढ़कर सामाजिक समानता की नींव पर बने एक प्रगतिशील समाज का सपना भी साकार करती है. रिपोर्ट और फोटो: प्रियंका दुबे ऐसे समय में जब पानी की किल्लत दिल्ली-मुंबई से लेकर जयपुर तक सैकड़ों भारतीय शहरों को सूखे नलों के मकड़जाल और अनंत प्रतीक्षा के रेगिस्तान में तब्दील कर रही है,...
More »पुलिस सुधार की मरीचिका- सत्येंद्र रंजन
जनसत्ता 12 अगस्त, 2013: सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप से पुलिस सुधारों का मुद्दा फिर चर्चा में है। सात साल पहले सर्वोच्च न्यायालय ने पुलिस सुधारों के बारे में व्यापक दिशा-निर्देश जारी किए थे। लेकिन उसका क्या अंजाम हुआ यह इस मामले में न्यायमित्र (एमिकस क्यूरे) की भूमिका निभा रहे महाधिवक्ता जीएम वाहनवती द्वारा न्यायालय को दी गई इस सूचना से जाहिर है कि राज्य सरकारों ने पुलिस सुधारों पर मामूली...
More »लखीमपुर: महिला तस्करी की नई राजधानी- प्रियंका दुबे
रह्मपुत्र और सुबनसिरी जैसी विशाल नदियों के बीच बसा असम का लखीमपुर जिला पहली नजर में खुशहाल इलाका दिखता है. ढलानों पर पसरे चाय-बागान, दूर तक फैले धान के खेत और पानी से लबालब सैकड़ों तालाब. लेकिन सतह को थोड़ा ही कुरेदने पर इस खुशनुमा तस्वीर के पीछे की भयावह सच्चाई दिखती है. पता चलता है कि बागानों में चाय की पत्तियां तोड़ते मजदूरों और पानी में डूबे खेतों में...
More »नियमगिरि के हकदार- कमल नयन चौबे
जनसत्ता 2 अगस्त, 2013: नियमगिरि में खनन की इजाजत देने की बाबत सर्वोच्च न्यायालय ने अठारह अप्रैल को दिए अपने फैसले में ग्रामसभा की मंजूरी लेने का आदेश दिया था। इस फैसले और इसके बाद के घटनाक्रम ने जल, जंगल, जमीन पर स्थानीय समुदायों के हक की लड़ाई के कई विरोधाभासों और उपलब्धियों को उजागर किया है। गौरतलब है कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले की मनमानी व्याख्या करते हुए ओड़िशा...
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