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अपने मुंह मियां मिट्ठू नहीं बन पाएंगे ग्राम प्रधान

नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना [मनरेगा] में ग्राम प्रधान अब 'अपने मुंह मियां मिट्ठू' नहीं बन पाएंगे। सोशल ऑडिट से प्रधानों को अलग रखा जाएगा। सरकार इस दिशा में जल्दी ही नए दिशा-निर्देश जारी करने वाली है। केंद्रीय रोजगार गारंटी परिषद [सीईजीसी] द्वारा इस पर कड़ी आपत्ति जताने के बाद सरकार ने नियमों में संशोधन का फैसला किया है। मनरेगा के काम...

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सरकार पर सलवा जुडूम की जानकारी छुपाने का आरोप

नयी दिल्ली/रायपुर। उच्चतम न्यायालय ने माओवादी हिंसा की समस्या से निपटने के वास्ते अपनी ओर से उठाए गए कदमों के बारे में 'अस्पष्ट' सूचनाएं देने के लिए आज छत्तीसगढ़ सरकार को फटकार लगाते हुए उस पर नक्सल-विरोधी सतर्कता समूह सलवा जुडूम के बारे में जानकारी छुपाने का आरोप लगाया। न्यायाधीश न्यायमूर्ति बी. सुदर्शन रेड्डी तथा न्यायमूर्ति एस. एस. निज्जर की सदस्यता वाली पीठ ने कहा ''राज्य सरकार द्वारा दाखिल...

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केयर्न-वेदांता सौदे में ओएनजीसी का अड़ंगा

नई दिल्ली। सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम [ओएनजीसी] ने कहा है कि ब्रिटेन की केयर्न एनर्जी पीएलसी बिना उसकी [ओएनजीसी] मंजूरी के केयर्न इंडिया की बहुलांश हिस्सेदारी वेदांता रिसोर्सेज को नहीं बेच सकती है। ओएनजीसी ने यह दावा इस आधार पर किया है कि राजस्थान जैसे तेल क्षेत्र में नहीं कहने का पहला अधिकार उसका है। राजस्थान के बारमेर तेल क्षेत्र में सरकारी आपरेटर के नाते वह...

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वेदांत- हिन्दुत्व और साम्राज्यवादी मंसूबों का विध्वसंक मिश्रण- रोजर मूडी

विभिन्न देशों के कानून और पर्यावरण नियमों का बड़े पैमाने पर उल्लंघन करने में वेदांत रिसोर्सेज़ की एक अलग पहचान है. कहने को तो यह कम्पनी एक पब्लिक कम्पनी है मगर इसमें वर्चस्व खुले तौर पर केवल एक व्यक्ति, उसके परिवार और इष्ट मित्रों का ही है. इस कम्पनी को इस बात पर भी नाज़ है कि वह हिन्दुत्व और नव-उदार रूढ़िवादिता में समन्वय स्थापित करती है. परेशानी की बात...

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पीपीपी से सावधान -योगेश दीवान

 भूमंडीलकरण-उदारीकरण के इस काल में अचानक एनजीओ या सिविल सोसाइटी समूहों की बाढ़ आना और वह भी शिक्षा, स्वास्थ्य, पानी, परिवहन और भोजन के मुद्दों पर थोड़ा शक पैदा करता है. खासकर, डब्ल्यूएसएफ की उस पूरी प्रक्रिया के बाद जो कहता था- “एक और दुनिया संभव है.” WSF इस असंभव को संभव बनाया है पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के उस मॉडल ने, जो न सीधा निजीकरण है न पूंजीवाद और न...

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