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एक सार्वजनिक बुद्धिजीवी की दास्तान-- रामचंद्र गुहा

एडवर्ड सईद हमारी पीढ़ी के भारतीय बुद्धिजीवियों के नायक रहे हैं। एक युवा वामपंथी के नाते पूर्व पर लिखने वाले पश्चिमी विद्वानों पर उनके हमले हमें ऊर्जा देते थे। तीसरी दुनिया के देशों का समर्थक होने के नाते इजरायली अपराधों की निंदा और फलस्तीनियों के प्रति एकजुटता का उनका पक्ष हमें प्रभावित करता था। मेरे कुछ दोस्त सईद के प्रति आजीवन समर्पित रहे, हालांकि मेरा मोहभंग होने लगा था। सईद...

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शक का दायरा और पुलिस की सोच-- विभूति नारायण

ढाई-तीन दशक पहले की एक शाम आईबी के एक वरिष्ठ अधिकारी से गपियाते हुए मुझे दो दिलचस्प तथ्य पता चले। पहला तो यह कि अलिखित नियमों के तहत आईबी यानी भारत की सबसे महत्वपूर्ण खुफिया संस्था इंटेलिजेंस ब्यूरो में किसी मुस्लिम आईपीएस अफसर को नहीं लिया जाता। यह कोई ढका-छिपा सच नहीं था। मुझे भी पता था, पर दिलचस्प इसलिए कह रहा हूं कि उन दिनों नौकरशाही के सबसे बड़े...

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अभी और बढ़ेंगे तेल के दाम-- सौरभ चंद्र

लगातार बढ़ रहे डीजल तथा पेट्रोल के दाम एक बार फिर सुर्खियों में हैं। आम जनता चिंतित भी है और परेशान भी। आखिर इस वृद्धि की वजह क्या है? इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने के लिए उपभोक्ताओं द्वारा पंपों पर भुगतान किए जाने वाले मूल्यों का विश्लेषण आवश्यक है। असल में, देश की बड़ी तेल-विक्रय कंपनियां तेल-शोधन और शोधित पदार्थों का विक्रय, दोनों काम करती हैं। शोधन कारखानों यानी रिफाइनरी...

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भविष्य के शिक्षक, शिक्षकों का भविष्य-- हरिवंश चतुर्वेदी

आज के दिन देश के लाखों स्थानों पर स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में शिक्षक दिवस धूमधाम से मनाया जाता है। लेकिन क्या डॉ राधाकृष्णन की कल्पना के अनुरूप आज भी समाज में शिक्षक और शिक्षा के पेशे को हम वह सम्मान दे पाए हैं, जो उन्हें मिलना चाहिए? हम इंजीनियरों, डॉक्टरों, चार्टर्ड अकाउंटेंट, आईएएस, आईपीएस, नेताओं, उद्योगपतियों, साधु-संतों और फिल्मी अभिनेताओं से मिलकर जितना गद्गद् होते हैं और सेल्फी लेने...

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खेती और गांव की बदहाली-- डा. अश्विनी महाजन

नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नबार्ड) ने अखिल भारतीय ग्रामीण समावेशी वित्तीय सर्वेक्षण, 2016-17 की रिपोर्ट में जो आंकड़े जारी किये हैं, इससे पता चलता है कि कृषि में संलग्न गृहस्थों की आमदनी में खेती और सहायक गतिविधियों जैसे पशुपालन इत्यादि से मात्र 43 प्रतिशत ही आमदनी मिलती है, जबकि शेष 57 प्रतिशत आय नौकरी, मजदूरी, उद्यम इत्यादि से प्राप्त होती है. ऐसे गृहस्थ जो कृषि में संलग्न...

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