भोपाल। राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (एनसीएससी) के अध्यक्ष बूटा सिंह ने कहा है कि बसपा शासित उत्तर प्रदेश में दलितों पर अत्याचार के सबसे ज्यादा मामले सामने आये हैं। इसके बाद बिहार और मध्य प्रदेश का स्थान है। दलितों के साथ भेदभाव के लिए मध्य प्रदेश सरकार की खिंचाई करते हुए बूटा सिंह ने कहा कि राज्य में दलितों के लिए आरक्षित रिक्तियां सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों से भरी जा रही हैं। बूटा सिंह...
More »SEARCH RESULT
दलित व ब्राह्मण में भेद नहीं करती बीपीएल सूची
पटना पटना जिले की पारिवारिक सर्वेक्षण सूची 'हड़बड़ी में ब्याह कनपटी में सिंदूर' का प्रमाण बन गयी है। ऐसा लगता है कि नगर निगम क्षेत्र में बीपीएल सूची बनाने में जातीय भेदभाव को समाप्त कर दिया गया है। बीपीएल सूची बनाने वालों ने तो यहां दलित-ब्राह्माण, यादव और वैश्य में कोई अंतर ही नहीं छोड़ा। हद तो यह है कि महिलाएं भी कई जगहों पर बाप बना दी गयी हैं। पटना नगर निगम की बीपीएल...
More »खाप पंचायतों का बढ़ता खौफ- सुभाष गताडे
नई दिल्ली [सुभाष गाताडे]। इंडियन नेशनल लोक दल के प्रधान ओम प्रकाश चौटाला और काग्रेस के युवा सासद नवीन जिंदल में क्या समानता ढूंढ़ी जा सकती है? अगर राजनीतिक प्रतिबद्धताओं को देखें या उम्र का फासला देखें तो कुछ भी एक जैसा नहीं है। अलबत्ता खाप पंचायतों को लेकर दिए अपने ताजे बयान के बाद दोनों एक ही तरफ खड़े दिखाई देते हैं। पिछले कुछ समय से खाप पंचायतों की तरफ से एक मुहिम...
More »दूल्हे को घोड़ी से उतार जमकर पीटा
बराड़ा हमले में उन पर ईंट व रोडे जमकर बरसाए। इस वारदात में दूल्हे सहित दर्जनों लोग घायल हो गए घायलों को उगाला के सरकारी अस्ताल में उपचार के लिए ले जाया गया जहां डाक्टर के न मिल पाने के कारण घायलों को मुलाना स्थित सरकारी अस्पताल में उपचार के लिए दाखिल करवाया गया। बाद में प्राथमिक उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। बराड़ा पुलिस ने मौके पर पहुंच कार्रवाई शुरू कर...
More »भूखे बुंदेलों के हक पर अमीरों का डाका
उरई। बुंदेलखंड के बीहड़ में बसे गांवों के लोग भुखमरी के मुहाने पर खडे़ हैं। उरई जिले के नंदीगांव व रामपुरा ब्लाकों के दर्जनों गांवों के बाशिंदों के घरों में महीने में बमुश्किल 15 दिन ही चूल्हा जलता है और वह भी एक समय। ज्यादातर भूमिहीन और गरीबों के पास बीपीएल और अंत्योदय कार्ड तक नहीं हैं। पूरा भोजन ना मिलने से महिलाएं, पुरुष और बच्चे कुपोषण का शिकार हैं। दलित बाहुल्य गांवों की हालत...
More »