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‘माननीयों’ को बस अपनी चिंता-- आशुतोष चतुर्वेदी

सांसदों के वेतन, भत्तों और पेंशन में बढ़ोत्तरी के फैसले और इसके तौर तरीके पर सवाल उठ रहे हैं. देश की सर्वोच्च अदालत ने जब इस पर सवाल उठाया, तो सांसदों को यह नागवार गुजरा और कुछेक सांसदों ने तो न्यायपालिका से दो टूक शब्दों में कहा कि वह अपनी सीमा में रहे. सांसदों की दलील थी कि अपना वेतन-पेंशन बढ़ाने का अधिकार उनके पास है और अदालतें इस विशेषाधिकार...

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शिक्षा से सामाजिक सद्भाव-- जगमोहन सिंह राजपूत

यह हर राष्ट्र का पहला कर्तव्य है कि वह अपना भविष्य संवारने के लिए वर्तमान का लगातार वस्तुनिष्ठ विश्लेषण और तदनुरूप तैयारी करता रहे। लोकतंत्र में सर्वमान्य नीतियों का निर्माण बहुधा कठिन हो जाता है। फिर भी जब राष्ट्र की सुरक्षा खतरे में होती है तो सब मतभेद भुला दिए जाते हैं, उसी प्रकार भविष्य की पीढ़ी को सुचारु रूप से तैयार करने में भी राष्ट्रीय योजनाएं सभी की सहमति...

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मिलेगा 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश

नई दिल्ली। कैरियर, घर और बच्चों के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करती नौकरीपेशा महिलाओं के लिए खुशखबरी है। मां बनने पर उन्हें 26 सप्ताह का मातृत्व अवकाश मिलेगा। संसद के दोनों सदनों से इसे हरी झंडी मिल गई है। गुरुवार को लोकसभा ने मातृत्व लाभ (संशोधन) विधेयक 2016 पर अपनी मुहर लगा दी। राज्यसभा पिछले साल अगस्त में ही इस विधेयक को पास कर चुकी है। नये विधेयक में नौकरीपेशा...

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बच्चों को भूखा देख तड़प उठा पिता, आग लगाकर दे दी जान

जबलपुर। ग्वारीघाट की अवधपुरी कालोनी में रहने वाले 40 वर्षीय महेश तिवारी ने सोमवार की सुबह 10 बजे आग लगाकर आत्महत्या कर ली। कर्ज से परेशान महेश के तीन मासूम बच्चे रविवार की शाम से भूखे थे। बच्चों को भूखा देखकर महेश तड़प उठा और उसने मौत का रास्ता चुन लिया। महेश चार महीने पहले तक अपने घर से ही रेडीमेड कपड़ों का व्यवसाय करता था। लेकिन नोटबंदी के बाद धंधा...

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कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा

किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...

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