एक नई रिपोर्ट का आकलन है कि रिजर्व बैंक समेत सरकारी क्षेत्र के अन्य बैंकों में आरटीआई की अर्जियों को ज्यादा तादाद में खारिज किया जा रहा है और ये बैंक मांगी गई जानकारियों का जवाब देने में फिसड्डी साबित हो रहे हैं. दिल्ली स्थित मानवाधिकार संस्था कॉमनवेल्थ ह्यूमन राइटस् इनिशिएटिव(सीएचआरआई) के एक शोध-अध्ययन के मुताबिक साल 2016-17 में सरकारी क्षेत्र के 25 बैंकों को सूचना के अधिकार के तहत लगभग 73 हजार नई अर्जियां...
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विश्व बैंक का अनुमान, भारत की वृद्धि दर इस साल 7.3 प्रतिशत रहेगी, कुछ चुनौतियां भी
वाशिंगटन : विश्व बैंक का अनुमान है कि इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहेगी और 2019 तथा 2020 में यह बढ़कर 7.5 प्रतिशत पर पहुंच जायेगी. विश्व बैंक ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी और माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के प्रभावों से निकल चुकी है. विश्व बैंक की सोमवार को जारी साल में दो बार आने वाली दक्षिण एशिया आर्थिक केंद्र रिपोर्ट में कहा,...
More »जल संकट के लिए तैयार रहें-- आशुतोष चतुर्वेदी
र्मी शुरू हो गयी है. हम सब जानते हैं कि हर साल की तरह हमारे गांव, कस्बे और शहर पानी की कमी से जूझेंगे. लेकिन, इस विषय में हम तभी सोचते हैं, जब समस्या हमारे सिर पर आ खड़ी होती है. न तो सरकारों की ओर से कोई ठोस पहल होती है और न ही समाज की ओर से कोई अभियान छेड़ा जाता है. समस्या केवल कम बारिश की नहीं...
More »प्राकृतिक आपदा से खेती-बाड़ी को कितना होता है नुकसान..पढ़ें इस नई रिपोर्ट में
एक नई रिपोर्ट के मुताबिक विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था को बीते दस सालों(2005 से 2015) के बीच प्राकृतिक आपदा से हुए फसल के नुकसान तथा पशुधन-उत्पादन में आयी कमी की वजह से 96 अरब डॉलर का घाटा उठाना पड़ा है. द इम्पैक्ट ऑफ डिजॉस्टर एंड क्राइसिज ऑन एग्रीकल्चर एंड फूड सिक्युरिटी शीर्षक यह रिपोर्ट संयुक्त राष्ट्र की संस्था फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गनाइजेशन(एफएओ) का एक शोध-अध्ययन है. खाद्य सुरक्षा तथा कृषि पर प्राकृतिक आपदा के प्रभाव...
More »ताकि अगली पीढ़ी को भी पानी मिले-- एम वेंकैया नायडू
ब्रिटिश कवि सैम्युअल टेलर कॉलरिज की कविता द राइम ऑफ द एनसिएंट मरीनर में एक पंक्ति है वाटर, वाटर एव्रीवेयर, नॉर एनी ड्रॉप टु ड्रिंक यानी पानी तो हर जगह है, पर एक बूंद भी पीने के काबिल नहीं। करीब दो सदी पहले इन शब्दों को रचते हुए सैम्युअल क्या आने वाले वर्षों की भविष्यवाणी कर रहे थे? क्या वह जाने-अनजाने उस जल संकट का कयास लगा रहे...
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