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नहीं थम रहा राज्य में आलू किसानों के जान देने का मामला, अब मालदा में खुदकुशी

मालदा: मालदा में भी एक आलू किसान ने कीटनाशक खाकर आत्महत्या कर ली है. गुरुवार सुबह मालदा मेडिकल कॉलेज व अस्पताल में आलू किसान ने दम तोड़ दिया. 22 वर्षीय मृत आलू किसान का नाम भगत राय है. वह बामनगोला थानांतर्गत जगद्दला ग्राम पंचायत के हांसपुकुर गांव का रहनेवाला था. इस घटना में स्थानीय पंचायत की ओर से ब्लॉक प्रशासन को विस्तृत रिपोर्ट नहीं दी गयी है. जिला शासक...

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किसानों को दिहाड़ी मजदूर न बनाएं - देविंदर शर्मा

22 मार्च को किसानों के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात" रेडियो पर प्रसारित होगी और देश में खेती-किसानी और कृषकों के हालात सुधारने के बारे में उनके विचारों से मैं अवगत होना चाहूंगा। मैं नहीं जानता कि मेरे विचार उनके किसी निर्णय को बदल अथवा प्रभावित कर सकते हैं या नहीं, लेकिन यहां मैं किसानों की दुर्दशा और परेशानी अवश्य साझा कर सकता हूं। इसके साथ...

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सूखे की मार : छत्तीसगढ़ में पानी तो है लेकिन कद्रदान नहीं

रायपुर(ब्यूरो)। छत्तीसगढ़ पानी की उपलब्धता के मामले में सौभाग्यशाली प्रदेश रहा है। मुख्य रूप से छह मुख्य नदियां अपनी सहायक नदियों और नालों के सहयोग से प्रदेश का पूरा क्षेत्रफल कवर करती हैं। प्रदेश की औसत बारिश भी करीब 1400 मिमी है। इस बारिश के पानी को रोकने के लिए प्रदेश के 20 हजार से अधिक गांवों में 54 हजार से अधिक तालाब हैं, इसके बावजूद कई बार प्रदेश के...

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आठ राज्‍यों में फसलों को भारी नुकसान की आशंका, अगले हफ्ते आएगी सर्वे रिपोर्ट

नई दिल्‍ली। मार्च की बेमौसम बरसात और ओलों ने देश के उत्तरी, मध्‍य और पश्चिमी क्षेत्र में फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि मंत्रालय का अनुमान है कि पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र में 50 लाख हेक्टेयर भूमि में खड़ी फसल बर्बाद हुई है। करनाल स्थित गेहूं अनुसंधान निदेशालय के मुताबिक देश भर में गेहूं की करीब 20 प्रतिशत फसल को नुकसान...

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उदारीकरण में पिसती ग्रामीण अर्थव्यवस्था- सुषमा वर्मा

विश्व बैंक की प्रबंध निदेशक क्रिस्टीना लेगार्ड ने हाल ही में रहस्योद्घाटन किया है कि भारत के अरबपतियों की दौलत पिछले 15 बरस में बढ़कर 12 गुना हो गई है। गौरतलब है कि यह वही दौर है जब भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुए चंद साल ही हुए थे। उदारीकरण के दो दशक बाद शहरी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बीच का फासला लगातार बढ़ता ही नहीं जा रहा बल्कि...

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