वाशिंगटन : विश्व बैंक के अध्यक्ष जिम जोंग किम ने कहा है कि भविष्य में महामारियों से निपटने के लिए विश्व तैयार नहीं है जो इबोला संकट से अधिक खतरनाक साबित हो सकता है. उन्होंने भविष्य में संभावित रुप से विपत्तिपूर्ण स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने के लिए एक दृष्टिकोण प्रस्तुत किया. किम ने यहां पर जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय में श्रोताओं से कहा ‘‘इबोला कई लोगों के जीवन को लील गया और गिनी,...
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खादी प्रमोशन : फैशन डिजायनर और कारीगर मिलाएंगे हाथ
ई दिल्ली। मोदी सरकार खादी इंडस्ट्री को प्रमोट करने के लिए अब फैशन डिजायनर को अपने साथ जोड़ने की तैयारी में है। इसके लिए खादी उत्पादों की डिजाइन से लेकर उसके मार्केटिंग टूल को विकसित करने पर सरकार का जोर है। इस संबंध में बुधवार को सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों की फैशन डिजाइन काउंसिल ऑफ इंडिया के साथ बैठक हुई है। केंद्र सरकार की कोशिश है...
More »बीमा विदेशीकरण की बेचैनी क्यों- अरविन्द मोहन
संसद का सत्र खत्म होते ही कई मामलों में अध्यादेश लाना केंद्र सरकार की बेचैनी को तो बताता ही है, हम सबसे इस बात की मांग भी करता है कि हम जानें कि हमारी सरकार किन सवालों पर इतना बेचैन होकर काम कर रही है। हमने देखा है कि देश भर में धर्म के नाम पर संघ परिवार से जुड़े लोगों और संगठनों ने जिस तरह से हंगामा मचाना शुरूकिया...
More »विदेशी कंपनियां नहीं लाएंगी अच्छे दिन - डॉ. भरत झुनझुनवाला
वर्ष 2005 से 2010 के बीच देश की अर्थव्यवस्था 8.7 प्रतिशत की दर से बढ़ रही थी। अरबपतियों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही थी। फिर भी जनता में असंतोष था, जिसका परिणाम संप्रग सरकार को 2014 के चुनाव में झेलना पड़ा। मोदी सरकार के सामने 2015 की चुनौती विकास को आम जनता तक पहुंचाने की है। हमारी वर्तमान विकास दर 5 से 6 प्रतिशत के बीच है।...
More »कंपनी बड़ी या देश-- अरविन्द कुमार सेन
नोबेल पुरस्कार विजेता पॉल क्रुगमैन ने दो दशक पहले शोध पत्रिका हॉवर्ड बिजनेस रिव्यू में ‘देश एक कंपनी नहीं है' शीर्षक से शोध-पत्र लिखा था। यह शोध-पत्र उस दौर में प्रकाशित हुआ था, जब भुगतान संतुलन की बीमारी से दो-चार हो रही भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्थाओं पर विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक संगठन की अगुआई में नवउदारवादी नीतियां थोपी जा रही थीं। हर तरफ आर्थिक सुधारों की मार्फत अर्थव्यवस्था को...
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