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होटलों में मिलेंगे जैविक उत्पाद : धूमल

शिमला : मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने कहा कि अब हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम (एचपीटीडीसी) अपने होटलों में जैविक भोजन व अन्य जैविक उत्पाद उपलब्ध कराएगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जैविक खेती को विशेष प्राथमिकता प्रदान कर रही है। किसानों को पारंपरिक जैविक कृषि पद्धति अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है जिससे उन्हें आर्थिक लाभ के साथ-साथ घर-द्वार पर रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी मिलेंगे। मुख्यमंत्री वीरवार को इंदिरा गांधी खेल परिसर...

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वार्षिक आर्थिक वृद्धि 7.4 प्रतिशत रही

नई दिल्ली। देश की अर्थव्यवस्था ने सरकार के अनुमानों को भी पीछे छोड़ते हुए गत 31 मार्च को समाप्त वित्तीय वर्ष 2009-10 में 7.4 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की। सरकार ने वर्ष के दौरान सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की वृद्धि 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था, जबकि चालू वित्तीय वर्ष की वृद्धि 8.5 प्रतिशत तक पहुंचने की उम्मीद की गई है। उम्मीद से अधिक के इस आंकड़े का एक बड़ा श्रेय पिछले वित्त वर्ष...

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ग्रामीण अर्थव्यवस्था कैसे संभली रही?- पाणिनी आनंद

ग्रामीण क्षेत्र की अर्थव्यवस्था ने भी भारत को आर्थिक संकट के दौर में स्थिर रखने में मदद दी वैश्विक आर्थिक मंदी के दौर में भारत के ग्रामीण विकास और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के बारे में जानी मानी अर्थशास्त्री जयति घोष कहती हैं कि जहां संयुक्त प्रगतिशील गंठबंधन सरकार की पहली पारी गंभीर और सकारात्मक रही, वहीं दूसरी पारी में सरकार कम गंभीर नज़र आ रही है. उनका मानना है कि सरकार की कुछ तैयारियों और बदलावों के...

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बुद्धि की मंदी है : मुद्दों का न होना- पी साईनाथ

कम-से-कम दो प्रमुख अखबारों ने अपने डेस्कों को सूचित किया कि 'मंदी' (recession) शब्द भारत के संदर्भ में प्रयुक्त नहीं होगा। मंदी कुछ ऐसी चीज है, जो अमेरिका में घटती है, यहां नहीं. यह शब्द संपादकीय शब्दकोश से निर्वासित पडा रहा. यदि एक अधिक विनाशकारी स्थिति का संकेत देना हो तो 'डाउनटर्न' (गिरावट) या 'स्लोडाउन' (ठहराव) काफी होंगे और इन्हें थोडे विवेक से इस्तेमाल किया जाना है. लेकिन मंदी को नहीं. यह मीडिया के दर्शकों के...

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विदेशी कबाड़ कंप्यूटर तो नहीं ले आए आप!

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। आपको शायद जानकारी न हो। अभी कुछ समय पहले ही आपने सस्ते दाम पर जिस कंप्यूटर या लैपटाप को खरीदा है, वह विकसित देशों का पुराना कबाड़ भी हो सकता है। जी हां! विकसित देश अपने पुराने और कबाड़ हो चुके इलेक्ट्रानिक आइटम खासकर, कंप्यूटर और लैपटाप, भारत जैसे देशों में खपा रहे हैं। चैरिटी के नाम पर आयात किए जाने वाले इस कचरे का हालांकि जल्दी ही देश में प्रवेश बंद...

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