विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी गहरा रही है. ग्रीस के संकट से यूरोप के अंदरूनी हालात के संकेत मिलते हैं. मूल रूप से यूरोप की प्रतिस्पर्धा शक्ति का ह्रास हो रहा है. इसका परिणाम सर्वप्रथम ग्रीस जैसे कमजोर देश में प्रकट हुआ है. चीन भी संकट में है. वर्तमान में अमेरिका और यूरोप के बाजार ठंडे पड़ने लगे हैं. फलस्वरूप चीन के निर्यात दबाव में आ गये हैं. चीन को मजबूरन...
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अति पिछड़ों की राजनीतिक भूमिका-- बद्री नारायण
बिहार में अब सिर्फ दलितों और पिछड़ों की राजनीति नहीं हो रही, इसकी राजनीति का नया रुझान महादलित और अति पिछड़ों से जुड़ा है। ये दो श्रेणियां बताती हैं कि जिन्हें हम दलित और पिछड़े वर्गों की तरह देखते हैं, उनका स्वरूप हर जगह एक सा नहीं है। इन वर्गों के भीतर भी गैर-बराबरी, ऊंच-नीच या भेदभाव है। इसके चलते संसाधनों का समान वितरण नहीं हो पाता। इनके भीतर भी ऐसी...
More »मध्यप्रदेश में 2022 तक सबकों घर, नवंबर से शुरुआत संभव
हरीश दिवेकर, भोपाल। सबको घर देने के लिए राज्य सरकार आवास गारंटी कानून बना रही है। इसके अनुसार वर्ष 2022 तक हर किसी के पास खुद का घर होगा। इस अवधि के बाद मप्र में एक भी परिवार ऐसा नहीं होगा जिसके पास खुद की छत न हो। यदि किसी कारण से सरकार तय सीमा में आवास नहीं दे पाती है या आवास देने में देरी होती है, तो संबंधित...
More »तरक्की तो अपने दम पर ही होगी- यशवंत सिन्हा
स्वतंत्र भारत के इतिहास में एक समय ऐसा भी था, जब सोवियत संघ के साथ भारत की प्रगाढ़ मैत्री तथा देश में वामपंथियों के बोलबाले के चलते सोवियत संघ के खिलाफ सार्वजनिक रूप से कुछ भी कहना घोर अपराध माना जाता था। मैं संसद में 1988 में आया और मुझे आश्चर्य हुआ जब संसद में भी सोवियत संघ के खिलाफ बोलने पर वामपंथी सदस्यों तथा अन्य दलों के उनके समान...
More »विकास की नीतियां बदलने का वक्त - यशवंत सिन्हा
भारत में घोषित आर्थिक सुधारों का इतिहास 24 साल पुराना है, लेकिन इन 24 वर्षों में भी सुधारों को लेकर जो विवाद हैं, वे अभी तक समाप्त नहीं हुए हैं। आज भी भूमि अधिग्रहण, श्रम कानून, जीएसटी, डायरेक्ट टैक्स (जैसे गार अथवा पिछली तिथि से लागू होने वाले कर) विदेशी पूंजी निवेश इत्यादि अनेक ऐसे मुद्दे हैं, जिन पर आज भी कोई सहमति नहीं बन पाई है। जब डॉ. मनमोहन...
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