झारखंड के लातेहार जिले के डबलू सिंह के परिवार की दुर्दशा वर्तमान खाद्य-नीतियों की विसंगतियों को जितनी मार्मिकता से उजागर करती है उतनी शायद कोई और बात नहीं करती। जीविका के लिए मुख्य रुप से दिहाड़ी मजदूरी पर निर्भर आदिवासी युवक डबलू, तकरीबन दो साल पहले, काम करते वक्त छत से गिर पडा और उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। जीवनभर के लिए अपंग हो चुके डबलू को हर वक्त...
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मुश्किल है गरीबों की पहचान? : हर्ष मंदर
यदि आप किसी गांव में जाएं और ग्रामीणों से पूछें कि यहां रहने वाले लोगों में से कौन गरीब हैं, तो उनके लिए इस सवाल का जवाब देना कठिन नहीं होगा। शायद वे किसी दृष्टिहीन विधवा का नाम बताएं, या किसी बुजुर्ग दंपती की ओर इशारा करें, जो भीख मांगकर पेट भरते हैं, या कर्ज के बोझ तले दबे किन्हीं किसानों का उल्लेख करें। वे गरीबों की अपनी सूची में पिछड़ी जाति के...
More »सड़ा गरीबों का निवाला
भवनाथपुर(गढ़वा) : भवनाथपुर में 80 क्विंटल सरकारी चावल सड़ गया. अन्नपूर्णा योजना के तहत गरीबों के बीच बांटा जाना था. पर समय पर नहीं बांटा जा सका. चावल प्रखंड कार्यालय परिसर स्थित टूटे-फ़ूटे गोदाम के बरामदे पर रखा हुआ था. जहां बारिश के पानी लगातार पड़ने से सड़ गया. जानकारी के अनुसार, भवनाथपुर व केतार प्रखंड के गरीबों के बीच बांटने के लिए उक्त चावल एफसीआइ गोदाम से यहां लाया गया था....
More »मुद्दा: गरीब की नई परिभाषा
गरीबी: सभ्य समाज के इस सबसे बड़े अभिशाप को राष्ट्रपिता गांधी जी ने हिंसा का सबसे खराब रूप कहा। करेला उस पर नीम चढ़ा कि स्थिति यह कि गरीबों को 'गरीब' न मानना। हमारे हुक्मरानों ने गरीबों की नई परिभाषा गढ़ी है। अगर आप शहर में रहकर 32 रुपये और गांव में रहकर 26 रुपये प्रतिदिन से अधिक खर्च कर रहे हैं तो आप गरीब नहीं है। खुद को गरीब मानते...
More »और महंगा होगा प्याज!
नई दिल्ली। किसानों के दबाव में सरकार ने दो सप्ताह के भीतर ही अपना फैसला पलटते हुए प्याज निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटा लिया है। इससे प्याज और महंगा हो सकता है। प्याज निर्यात से रोक हटाने का यह फैसला भी उसी मंत्रियों के उसी अधिकारप्राप्त समूह [ईजीओएम] ने लिया है, जिसने इस पर रोक लगाई थी। राजनीतिक रूप से संवेदनशील प्याज को लेकर सरकार दोहरे दबाव से गुजर रही थी। प्याज...
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