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हाथी के दांत बन गये सरकारी नलकूप

अधिकतर किसान सिंचाई के लिए नहरों पर निर्भर रहते हैं. पिछले कई वर्षों से एक ओर किसानों को मौसम की बेरुखी का मार सहना पड़ता है, तो दूसरी ओर नहरों में पानी नहीं आने से उनकी परेशानी बढ. जाती है. आर्थिक रूप से कमजोर किसान उम्मीद लगा कर धान की रोपनी तो करते हैं, पर मौसम की बेवफाई के कारण धान की फसल बेजान हो जाती है. नहर में पानी नहीं...

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उत्तर भारत में कपास का रकबा 15 फीसदी घटने का अनुमान

चालू खरीफ सीजन में अभी तक 7.15 लाख हैक्टेयर में ही कपास की बुवाई मोह भंग - पिछले साल कपास की आवक के समय उत्पादक मंडियों में दाम घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से भी नीचे चले गए थे जबकि धान और ग्वार का अच्छा भाव मिला था। इसलिए किसानों की दिलचस्पी धान और ग्वार की खेती में ज्यादा है। राज्यों में बुवाई हरियाणा में कपास की बुवाई 1.50 लाख हैक्टेयर में पंजाब में हुई...

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श्री विधि संवृद्धि की राह

खरीफ की खेती का समय आ गया है. 25 मई से रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा और राज्य भर के किसान खेतों की ओर रुख करेंगे. इस बार सरकार ने उत्पादन बढाने के लिए श्रीविधि खेती पर फोकस किया है. राज्य में 35 लाख हेक्टेयर जमीन में इस साल धान की खेती होनी है. इस साल धान के उत्पादन का लक्ष्य 100 लाख टन रखा गया है. इस लक्ष्य को पूरा करने...

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निजी कंपनियों के हवाले मौसम!

भारत की आधी से ज्यादा आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और कृषि मॉनसून पर. देश की कुल कृषि भूमि का 55 प्रतिशत वर्षा जल पर निर्भर है. लेकिन अभी तक मॉनसून के पूर्वानुमान के शास्त्र को पूरी तरह साध पाने में सफलता नहीं मिली है. पिछले साल सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि पिछले चार साल से भारतीय मौसम विभाग के मॉनसून के पूर्वानुमान के आंकड़े वास्तविकता...

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चालू सीजन में चावल की सरकारी खरीद घटकर 289 लाख टन

चालू मार्केटिंग सीजन में 401 लाख टन चावल खरीद का लक्ष्य निर्धारित चालू खरीफ विपणन सीजन 2012-13 में न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर चावल की सरकारी खरीद 2 फीसदी घटकर 288.76 लाख टन की ही हुई है। पिछले विपणन सीजन की समान अवधि में 295.88 लाख टन की खरीद हुई थी। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के अनुसार चालू विपणन सीजन में अभी तक हुई चावल की सरकारी खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी...

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