पटना : राजधानी में स्थित प्राइवेट स्कूलों का सालाना कारोबार करीब 400 करोड़ रुपये से अधिक का होता है. इसमें यहां सीबीएसई व सीआईएससीई से संबद्ध करीब 50 जाने-माने स्कूल हैं, जहां एडमिशन की मारामारी रहती है. इन स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या 1.50 लाख के करीब है. मंथली फीस के अलावा स्कूलों में हर साल नये एडमिशन और विभिन्न कक्षाओं में प्रमोट होनेवाले विद्यार्थियों से भी अलग-अलग मद में...
More »SEARCH RESULT
नये बिहार की चुनौतियां!-- केसी त्यागी
हार उपचुनाव के नतीजे और रामनवमी के बाद के घटनाक्रमों को लेकर मीडिया के एक तबके के साथ कुछ बुद्धिजीवियों द्वारा बिहार सरकार की आलोचना सुर्खियों में रहीं. इस क्रम में स्थानीय शासन-प्रशासन की तथाकथित विफलता को भी खूब स्थान दिया गया, जिसमें राज्य के कुछ जिलों में हुई सांप्रदायिक झड़पों को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सुशासन व्यवस्था पर भी सवाल उठाये गये. किसी भी शासनाध्यक्ष के लिए ऐसी...
More »शिक्षक को मजबूर बनाती व्यवस्था-- मनीषा सिंह
हमारे समाज में शिक्षक काफी सम्मान का पात्र समझा जाता रहा है। देश की भावी पीढ़ी या भविष्य कहलाने वाले बच्चों और अंतत: समाज को शिक्षा व सही दिशा-निर्देश देने की शिक्षक की भूमिका में तो अब भी कोई बदलाव नहीं हुआ है, पर आधुनिक व्यवस्था में वह समाज के सबसे निरीह प्राणी के रूप में देखा जाने लगा है। इसका कारण सिर्फ यह नहीं है कि शिक्षक के रूप...
More »उद्यम की राह के माइलस्टोन है बिहार के ये युवा...
अमूमन लोगों में ऐसी धारणा रही है कि बिहार के युवा उद्यम और व्यापार में रुचि नहीं लेते. सरकारी नौकरी में जाना उनका सबसे बड़ा लक्ष्य होता है. मगर पिछले कुछ वर्षों में युवाओं के एक बड़े हिस्से ने उद्योग जगत में अपनी अलग पहचान बनायी है. खास बात यह है कि इन युवाओं की पारिवारिक पृष्ठभूमि कभी व्यापार की नहीं रही. आइये जानते हैं ऐसे ही दस युवाओं...
More »उपेक्षा की मार झेल रहा एक जिला-- योगेन्द्र यादव
पिछले सप्ताह से यह सवाल मेरे मन में बार-बार घूम रहा है. पिछले सप्ताह नीति आयोग ने देश के सबसे पिछड़े 101 जिलों की सूची जारी की. इस सूची में सबसे ऊपर यानी देश का सबसे पिछड़ा जिला होने का श्रेय हरियाणा के मेवात जिले को जाता है (आजकल इसका सरकारी नाम जिला मुख्यालय के नाम पर नुहू कर दिया गया है). बिहार के अररिया, छत्तीसगढ़ के सुकमा, उत्तर प्रदेश...
More »