सीकर. शिक्षा विभाग की डाइस डाटा रिपोर्ट में सरकारी शिक्षा के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में पहली कक्षा में दाखिला लेने वाले 100 स्टूडेंट्स में से केवल 27 ही 12वीं की पढ़ाई पूरी कर पा रहे हैं। बाकी 73 स्टूडेंट्स बीच में पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसके पीछे बड़ी वजह है सीनियर सैकंडरी स्कूलों और शिक्षकों की कमी। राजस्थान में पहली से पांचवीं कक्षा...
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उच्च शिक्षा:चाहते हैं सो आप करे हैं- योगेन्द्र यादव
हाल ही में दिल्ली विश्वविद्यालय के चार साल के स्नातक पाठय़क्रम को लेकर खूब हंगामा हुआ. सरकार से लेकर यूजीसी तक ने इस मामले में सियासत की. स्थिति यह हुई कि जो लोग पहले चार वर्षीय पाठय़क्रम के पक्ष में थे, वही इसके विरोध में राय देने लगे. खैर, पाठय़क्रम फिर तीन साल का हो गया, लेकिन असल सवाल अब भी जस का तस अपनी जगह मौजूद है. आज इस...
More »बहुत कठिन है स्कूल तक की डगर- पंकज चतुर्वेदी
तेलंगाना के मेडक जिले में एक स्कूल बस के ट्रेन से भिड़ जाने के कारण 14 बच्चों की मौत ने देश को हिला दिया है। लेकिन यह ऐसी पहली खबर नहीं है। अभी जुलाई के पहले सप्ताह में ही राजधानी दिल्ली में बच्चों को स्कूल ले जा रही एक आरटीवी दुर्घटनाग्रस्त हो गई और वाहन का चालक घायल बच्चों को छोड़ भाग गया। इसी क्रम में सितंबर 2010 की राजधानी...
More »खस्ताहाल स्कूली शिक्षा से संकट में छात्रों का भविष्य
इंदौर के पास स्थित देपालपुर में स्कूली शिक्षा के नाम पर सरकारी खानापूर्ति सामने आई है। इस विकासखंड में ऐसे कई स्कूल हैं, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह खबर एक तरह से पूरे देश की निराशाजनक तस्वीर पेश करती है। 12 लाख शिक्षकों की कमी है देशभर में 50 प्रतिशत स्कूलों साफ पीने की सुविधा नहीं ...
More »एक खबर जिसकी हत्या हुई - चंदन श्रीवास्तव
बात आत्महत्या से संबंधित खबरों की हो, तो अपने देश के अखबार आत्महत्या का सामाजिक आधार खोजते हुए शादी-ब्याह तक पहुंचते हैं और यह बताते हैं कि भारत में आत्महत्या कुंवारों से ज्यादा शादीशुदा लोग कर रहे हैं. वर्षो से यही चलन जारी है. इस साल भी एक अखबार ने सुर्खी लगायी है कि ‘शादीशुदा लोगों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति ज्यादा!' और पाठकों को ज्ञान दिया है कि ‘देश...
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