यदि घूस लेनेवाले और गलत नीतियां बनानेवाले के बीच चयन करना हो तो मैं घूस लेनेवाले को पसंद करूंगा. कारण यह कि घूस में लिया गया पैसा अर्थव्यवस्था में वापस प्रचलन में आ जाता है. लेकिन गलत नीतियों का प्रभाव दूरगामी और गहरा होता है. जैसे ईमानदार नेता विदेशी ताकतों के साथ गैर-बराबर संधि कर ले अथवा गरीब के रोजगार छीन कर अमीर को दे दे, तो देश की आत्मा...
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कृषि सेक्टर को मिलने वाले कर्ज में आई तेजी
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट फरवरी 2013 में एग्री सेक्टर को कर्ज में वृद्धि गत वर्ष के 8.1 से बढ़कर 16.1 फीसदी बैंक प्राथमिक सेक्टर को कर्ज उपलब्ध कराने वाले लक्ष्य को पूरा करने में जुट रहे हैं उद्योग जगत को कर्ज की वृद्धि दर गत वर्ष के 18.2 फीसदी से घटकर 17.6 फीसदी देश में सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र के बैंकों की ओर से कृषि सेक्टर को दिया जाने वाला कर्ज लगातार बढ़ता जा...
More »अब तक गेहूं की सरकारी खरीद 194 लाख टन
चालू रबी विपणन सीजन 2013-14 में गेहूं की सरकारी खरीद 2.1 फीसदी बढ़कर 194 लाख टन की हो गई है। गेहूं की सरकारी खरीद की गति कुछ राज्यों में पहले की तुलना में धीमी हो गई है। हरियाणा, उत्तर प्रदेश व राजस्थान में खरीद पिछले साल से कम हुई है। अभी तक हुई कुल खरीद में सबसे ज्यादा हिस्सेदारी पंजाब, हरियाणा और मध्य प्रदेश की है। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के...
More »निजी कंपनियों के हवाले मौसम!
भारत की आधी से ज्यादा आबादी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है और कृषि मॉनसून पर. देश की कुल कृषि भूमि का 55 प्रतिशत वर्षा जल पर निर्भर है. लेकिन अभी तक मॉनसून के पूर्वानुमान के शास्त्र को पूरी तरह साध पाने में सफलता नहीं मिली है. पिछले साल सरकार ने संसद में स्वीकार किया कि पिछले चार साल से भारतीय मौसम विभाग के मॉनसून के पूर्वानुमान के आंकड़े वास्तविकता...
More »आरक्षण की उलझन- योगेश अटल
जनसत्ता 20 अप्रैल, 2013: अब आरक्षण से जुड़ा आज का प्रश्न। नए भारत का संविधान रचने वालों ने प्रारंभ में इसकी आवश्यकता को नहीं स्वीकारा। कहा जाता है कि खुद आंबेडकर इसके पक्ष में नहीं थे। बड़े संकोच के साथ उन्होंने इस सुझाव को सम्मिलित किया और वह भी केवल चुनिंदा समूहों के लिए और प्रारंभ के कुछ वर्षों के लिए। आरक्षण का प्रावधान उन जातियों और आदिवासी समूहों के...
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