यह उन लोगों की कहानियां हैं, जो आजादी, इंसाफ और शांति के साथ जीना चाहते हैं. अपने गांव में खेतों में उगती हुई फसल, अपने जानवरों, अपनी छोटी-सी दुकान और अपने छोटे-से परिवार के साथ एक खुशहाल जिंदगी चाहते हैं. लेकिन यह चाहना एक अपराध है. अमेरिका, दिल्ली और रांची में बैठे हुक्मरानों ने इसे संविधान, जनतंत्र और विकास के खिलाफ एक अपराध घोषित कर रखा है. उनकी फौजें गांवों...
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किसानों के बकाये का भुगतान करें मिल मालिक
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों को बड़ी राहत दी। कोर्ट ने निजी चीनी मिल मालिकों को तीन महीने के भीतर गन्ना किसानों के सारे बकाये के भुगतान का निर्देश दिया है। शीर्ष न्यायालय ने आज एक याचिका पर सुनवाई करते हुए निजी मिल मालिकों को पेराई सत्र 2008-09 एवं 2010-11 के किसानों के सारे बकाये तीन महीने के भीतर भुगतान करने का निर्देश...
More »क्यों गायब हो रहे हैं छोटे किसान - सुभाष चंद्र कुशवाहा
आर्थिक उदारीकरण में खेती-किसानी को कहीं भी महत्व नहीं दिया जाता। लेकिन भारत में कृषि नीति के प्रति सरकार की लगातार उदासीनता इसलिए घातक है कि सेवा क्षेत्र के विकास के बावजूद कृषि क्षेत्र आज भी अर्थव्यवस्था की धुरी है। यह हताशाजनक ही है कि सरकार बजट-दर-बजट खेती-किसानी को घाटे का सौदा साबित करने पर तुली है। बाहरी दबावों और कॉरपोरेट हितों के लिए कृषि क्षेत्र को तबाह करने का...
More »हरियाणा-यूपी रोड पर किसानों का कब्जा
सोमवार सड़क पर चलने वालों के लिए बड़ा भारी गुजरा। दोपहर को छपरौला औद्योगिक क्षेत्र की समतल कंपनी के सैकड़ों कर्मचारियों ने नेशनल हाइवे जाम कर दिया, जिससे देर शाम तक नेशनल हाईवे पर यातायात प्रभावित रहा। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने बामुश्किल हाईवे खुलवाया। दूसरी ओर गेहूं से लदे ट्रैक्टरों को हरियाणा में प्रवेश देने से रोकने पर यूपी के सैकड़ों किसानों ने जेवर-पलवल मार्ग पर कब्जा कर लिया। इस मार्ग...
More »पोंटी के प्यार में यूपी सरकार- जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट
शराब कारोबारी पोंटी चड्ढा की गाजियाबाद स्थित परियोजना वेव सिटी अपनी शुरुआत से ही नियम-कायदों की भयानक अनदेखी और किसानों के दमन का उदाहरण रही है.जयप्रकाश त्रिपाठी की रिपोर्ट बताती है कि किस तरह उत्तर प्रदेश में अलग-अलग समय पर रही सरकारों ने इस परियोजना के प्रति खास दरियादिली दिखाई किस्तों में कत्ल हुआ मेरा, कभी खंजर बदल गए, कभी कातिल बदल गए... कुछ ऐसी ही पीड़ा है गाजियाबाद से सटे नायफल...
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