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हर जिले में नहीं होती है मिट्टी की जांच

राज्य की 80 प्रतिशत जनता गांवों में रहती है और उसमें भी 80 प्रतिशत लोग सीधे तौर पर खेती से जुड़े हैं. खेती ही ऐसे लोगों की जीविका का मूल आधार है. इसके बाद भी खेती के विकास को लेकर हमारा सरकारी महकमा गंभीर नहीं है. कृषि में उत्पादकता बढ़ाने के लिए द्वितीय हरित क्रांति, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना, राष्ट्रीय बागवानी मिशन आदि कई केंद्र प्रायोजित योजनाओं...

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विकास के मॉडल पर कुछ विचार- रविभूषण

र्षों पहले गुन्नार मिर्डल ने ‘एशियन ड्रामा' में लिखा था- ‘औपनिवेशिक सत्ता-व्यवस्था के बिखराव और स्वतंत्र राष्ट्रीय राज्यों के स्वत: उभरने का यह अर्थ नहीं है कि इन भूतपूर्व उपनिवेशों में कोई बड़ा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन हो.' यह आज भी सच है. स्वतंत्र भारत में कोई बड़ा सामाजार्थिक परिवर्तन नहीं हुआ है. ब्रिटिश शासकों द्वारा निर्मित ढांचा, जिसे बदलने में नेहरू ने 1950-51 में अपनी असमर्थता प्रकट की थी और उस ‘साहस'...

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वैश्वीकरण बनाम आदिवासी- हरिराम मीणा

जनसत्ता 29 जुलाई, 2013: भूमंडलीकरण का यह वह दौर चल रहा है जब सारे प्राकृतिक संसाधनों का फटाफट और अंधाधुंध दोहन कर लिया जाए, हो सकता है फिर ऐसा सुनहरा अवसर इन कंपनियों को मिले या न मिले। नई आर्थिक नीति की चरम परिणति जन-विरोधी वैश्वीकरण के रूप में अब सामने आ रही है। बहुराष्ट्रीय निगमों, उनको मॉडल मानने वाले देशी पूंजीपतियों और प्राकृतिक संसाधनों की बंदरबांट में लगे राजनीतिकों,...

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भारत में 17 करोड़ से ज्यादा बच्चों का मुश्किल में जीवन

नई दिल्ली। सरकार अपने कुल खर्च का एक फीसद से भी कम बच्चों के संरक्षण पर खर्च करती है और देश में 17 करोड़ से ज्यादा बच्चे और किशोर कठिन परिस्थितियों में रहते हैं। यह बात गुरुवार को बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने कही। बाल श्रम विरोधी कार्यकर्ता शांता सिन्हा ने यहां प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि बाल एवं किशोर अधिकारों की रक्षा व उनको बढ़ावा देने की खातिर कानूनी और प्रशासनिक ढांचे...

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महान लोकतंत्र की सौतेली संतानें- अतुल चौरसिया

नर्मदा और टिहरी की जो वर्तमान त्रासदी है उत्तर प्रदेश का सोनभद्र जिला उससे आधी सदी पूर्व ही गुजर चुका है. लेकिन इसका दुर्भाग्य कि नर्मदा, टिहरी के मुकाबले विनाश के कई गुना ज्यादा करीब होने के बावजूद यह आज कहीं मुद्दा ही नहीं है. शायद इसलिए कि सोनभद्र के पास कोई मेधा पाटकर या सुंदरलाल बहुगुणा नहीं हैं. अतुल चौरसिया की रिपोर्ट. फोटो: शैलेंद्र पांडेय. सोनभद्र को देखकर पहली नजर...

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