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समान अवसर आयोग के गठन पर उलझा मंत्री समूह

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। समाज के वंचितों को पढ़ाई व नौकरी में समुचित मौका देने के लिए कांग्रेस ने 2009 के अपनी चुनावी घोषणा पत्र में समान अवसर आयोग बनाने का एलान तो कर दिया, लेकिन उसे लेकर सरकार के भीतर शुरू खींचतान खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। आलम यह है कि इस पर गठित मंत्रियों का समूह भी उलझकर रह गया है। दूसरी तरफ, संबंधित मंत्रालय...

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छाप छोड़ने की भारी जद्दोजहद

नई दिल्ली. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी की अगुआई वाली राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी) की दूसरी बैठक में महत्वाकांक्षी खाद्य सुरक्षा एवं सांप्रदायिक हिंसा कानून ही छाए रहे। यूपीए सरकार के पिछले कार्यकाल में नरेगा व सूचना के अधिकार कानून की तर्ज पर सोनिया गांधी की अगुआई वाली सलाहकार परिषद इस बार खाद्य सुरक्षा व सांप्रदायिक हिंसा कानूनों पर अपनी छाप छोड़ने के खातिर इन्हें निर्णायक रूप देने के लिए...

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सरकार ने खोला खजाना

पटना। राज्य सरकार ने प्रदेश के गैर सरकारी सहायता प्राप्त प्रारंभिक विद्यालयों तथा अंगीभूत महाविद्यालयों के शिक्षकों के कर्मचारियों के वेतन के लिए करीब साढ़े सोलह करोड़ रुपये की मंजूरी दी है। अन्य पिछड़ा वर्ग के छात्रों की छात्रवृत्ति भुगतान के लिए आकस्मिकता निधि से 5.22 करोड़ अग्रिम लेकर खर्च की स्वीकृति दी गयी है। मंगलवार को राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में इससे संबंधित प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गयी।...

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न्याय:कितना दूर-कितना पास

  खास बात  • साल २००९ के अप्रैल महीने तक सर्वोच्च न्यायालय में लंबित मुकदमों की संख्या ५०१४८ थी। केसों के निपटारे की गति बढ़ी है मगर शिकायतों के आने की गति और जजों की संख्या केसों के आने की गति की तुलना में अपर्याप्त साबित हो रही है।*  • दो साल पहले यानी साल २००७ के जनवरी महीने में सुप्रीम कोर्ट में लंबित केसों की संख्या ३९७८० थी। सुप्रीम कोर्ट लंबित केसों के निपटारे में तेजी लाने असहाय महसूस...

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सवाल सेहत का

   खास बात •    सिर्फ 10 फीसदी भारतीयों के पास हेल्थ इंश्योरेन्स है और यह बीमा भी उनकी सेहत की जरुरतों के हिसाब से पर्याप्त नहीं है। *** •    अस्पताल में भर्ती भारतीय को अपनी सालाना आमदनी का 58 फीसदी इस मद में व्यय करना पड़ता है।*** •    तकरीबन 25 फीसदी भारतीय सिर्फ अस्पताली खर्चे के कारण गरीबी रेखा से नीचे हैं। *** •    सेहत के मद में होने वाले खर्चे का सवाल बड़ा चिन्ताजनक है। सालाना 10 करोड़ लोग...

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