जरा गौर कीजिए कि इसी देश में करीब अठारह-बीस करोड़ भूमिहीन दलित, अति पिछड़े मजूर हैं। उनके जीवन में यह मौका ही नहीं आता कि वे बैंक से कर्ज लें, खेती करें, उनकी फसल नष्ट हो और वे आत्महत्या कर लें। इसका अर्थ यह नहीं कि हम किसानों की आत्महत्या से पीड़ा का अनुभव नहीं करते। लेकिन इस बात को समझना तो होगा कि एक भूमिहीन किसान या मजूर आत्महत्या न...
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किसान आत्महत्या का अधूरा सच- देविन्दर शर्मा
गुलाबी तस्वीर पेश करने की तमाम कोशिशों के बावजूद राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) के किसान आत्महत्या संबंधी 2014 के आंकड़े कृषि के स्याह पक्ष को ही सामने लाते हैं। वर्ष 2014 में 12,360 किसानों की आत्महत्या का सीधा अर्थ है कि हर 42 मिनट में देश में एक किसान ने आत्महत्या की। हालांकि एनसीआरबी ने किसानों की आत्महत्या के आंकड़े को दो श्रेणियों-किसानों एवं कृषि मजदूरों, में बांटने का साहसिक...
More »दुनिया एक और महामंदी की ओर? - परंजॉय गुहा ठाकुरता
क्या 1930 की महामंदी के बाद दुनिया एक और महामंदी की ओर बढ़ रही है? क्या हम यह मान लें कि वर्ष 2008 की मंदी इस महामंदी का शुरुआती दौर भर थी? दुनिया ग्रीस त्रासदी पर टकटकी लगाए हुए है। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन कहते हैं कि 1930 जैसी महामंदी के हालात फिर से निर्मित हो सकते हैं। अलबत्ता इसके एक दिन बाद ही आरबीआई द्वारा सफाई...
More »किसानों को चाहिए सुरक्षा कवच- बी के चतुर्वेदी
विकट कृषि संकट के चलते किसान लगातार आत्महत्या कर रहे हैं। ऐसे में हमें इस समस्या पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है। किसानों के लिए किसी भी तरह के सुरक्षा तंत्र की रूपरेखा उनकी जरूरतों और समस्याओं की समझ पर आधारित होनी चाहिए। ऐसे किसी तंत्र के लिए विभिन्न पहलुओं पर गौर करना जरूरी है। इसमें से पहला यह कि छोटी जोत की खेती के लिए बड़े पैमाने पर...
More »जूट मिलों का संकट गहराया और आठ हजार श्रमिक बेरोजगार
कोलकाता / हुगली. राज्य में जूट मिलों का संकट गहराता जा रहा है. और दो जूट मिलों के बंद हो जाने से 8 हजार श्रमिक बेरोजगार हो गये हैं. राज्य में 59 जूट कारखाने हैं, जिसमें 15 से ज्यादा बंद हो चुकी हैं. जूट संकट के चलते हाल में एक लाख श्रमिक बेरोजगार हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पश्चिम बंगाल के दौरे पर हैं. श्रमिकों के साथ ही मालिक पक्ष की...
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