-आउटलुक, आज पंकज त्रिपाठी की गणना उन चंद अभिनेताओं में होती है, जिन्हें अपनी प्रतिभा के बल पर प्रसिद्धि मिली। लेकिन उन्हें यह मुकाम एक दशक से अधिक के कड़े संघर्ष के बाद हासिल हुआ। ‘कालीन भैया’ के किरदार के रूप में उन्होंने अमेजन प्राइम वीडियो के वेब शो मिर्जापुर में खूब वाहवाही लूटी। इस वेब सीरीज का दूसरा सीजन 23 अक्टूबर से शुरू हो रहा है। गिरिधर झा से उन्होंने...
More »SEARCH RESULT
बाबरी फैसला बीजेपी के लिए सोने की मुर्ग़ी है. मथुरा, काशी से भारत का इस्लामिक इतिहास मिटाने के संकेत
-द प्रिंट, तीन सौ इक्यावन गवाह, 600 दस्तावेज़, बहुत से वीडियो कैसेट्स और अख़बारों की ख़बरें, बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अभियुक्तों को- जिनमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र न्यास अध्यक्ष नृत्य गोपाल दास और शिव सेना लीडर सतीश प्रधान वग़ैरह शामिल थे- दोषी ठहराने के लिए काफी नहीं थीं. प्रतीकवाद की राजनीति में ऊंची जगह होती है, ख़ासकर भारत में. 28 साल पहले क्या हुआ था,...
More »बाबरी मस्जिद विध्वंस केस: सुप्रीम कोर्ट और जस्टिस लिब्रहान को जो दिखा वो सीबीआई कोर्ट न देख पाई?
-बीबीसी, छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस कुछ अराजक तत्वों के अचानक हमले का नतीजा था या सुनियोजित और संगठित प्रयास का परिणाम? इतिहास में यह सवाल हमेशा पूछा जाएगा. वेदों में कहा गया है कि सत्य का मुख सोने के पात्र से ढका हुआ होता है. सत्य की खोज श्रमसाध्य और अनवरत चलने वाली प्रक्रिया है. सत्य अलग-अलग कोण से अलग दिखता है और देखने वाले की नज़र से...
More »अलविदा, कपिला वात्स्यायन
-सत्यहिंदी, अक्सर वे दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में दिख जाती थीं। एक दुबली-छरहरी, गोरी, तेज़ क़दमों से चलती हुई काया, जिन्हें देख कर यह नहीं लगता था कि वे प्राचीन इतिहास, कला-शिल्प और शास्त्रीय नृत्य-रूपों की विदुषी होने के अलावा संस्कृति के क्षेत्र में बड़ी हैसियत रखने वाली महिला भी हैं। कपिला वात्स्यायन ( जन्म: 25 दिसंबर 1928; निधन: 16 सितम्बर 2020) शायद पुपुल जयकर के बाद दूसरी ऐसी हस्ती थीं...
More »2020 में हम भारतीयों को 1920 के इटली को जानने की जरूरत क्यों है?
-सत्याग्रह, मैं जीवनियां खूब पढ़ता हूं. इनमें बहुत सी विदेशी हस्तियों की होती हैं जो उनके देश, काल और परिस्थितियों के बारे में बताती हैं. हाल ही में मैंने कनाडाई विद्वान फाबियो फर्नांडो रिजी की किताब ‘बेनेडेट्टो क्रोसे एंड इटैलियन फासिज्म’ खत्म की है. इस किताब में एक महान दार्शनिक की जीवनी के सहारे उस दौर की एक बड़ी सच्चाई बताई गई है. रिजी की किताब पढ़ने के बाद मुझे 1920 के...
More »