‘गोदान’ के प्रकाशन के 75 साल पूरे हो गए हैं लेकिन भारत का देहाती जीवन आज भी लगभग उन्हीं समस्याओं और चुनौतियों से घिरा दिखता है जिनका वर्णन मुंशी प्रेमचंद के इस कालजयी उपन्यास में हुआ है. गोपाल प्रधान का आलेख सन 1935 में लिखे होने के बावजूद प्रेमचंद के उपन्यास 'गोदान' को पढ़ते हुए आज भी लगता है जैसे इसी समय के ग्रामीण जीवन की कथा सुन रहे हों....
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गन्ना के साथ दलहन,आलू व धनिया की खेती
गन्ना की खेती को लाभकारी बनाने के लिए गन्ना के साथ दलहन,आलू व धनिया की खेती के लिए किसानों को अनुदान मिलेगा। अनुदान मद में 25.73 करोड़ व्यय होगा। राज्य सरकार की योजना पांच वषरें में सभी चीनी मिल परिसर में उद्योग स्थापित करने की है। इसका रोडमैप कृषि कैबिनेट के तहत तैयार किया गया है। राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत पहली बार गन्ना के...
More »चीनी ने बिगाड़ा मिल मालिकों का जायका
लखनऊ, जागरण ब्यूरो : सरकार के गन्ने के समर्थन मूल्य में 40 रुपए की रिकार्ड बढ़ोत्तारी करने के अलावा खुले बाजार में चीनी मूल्य की स्थिरता ने मिल मालिकों का जायका बिगाड़ दिया है। उहापोह में फंसा प्रबंधन मिल चलाने से कतरा रहा है और नुकसान गन्ना किसानों को झेलना पड़ रहा है। गत वर्ष गन्ना किसानों को अपनी मर्जी से 260-80 रुपए प्रति कुंतल तक भुगतान देना मिल मालिकों के...
More »हरियाणा में गन्ने का एसएपी यूपी से ज्यादा
हरियाणा सरकार ने नए सीजन के लिए गन्ने का राज्य परामर्श मूल्य (एसएपी) घोषित कर दिया है। हरियाणा में गन्ने का एसएपी उत्तर प्रदेश से ज्यादा होगा। गत दिवस उत्तर प्रदेश सरकार ने 200-210 रुपये प्रति क्विटंल एसएपी तय किया था। इसके बाद पंजाब सरकार पर भी एसएपी बढ़ाने का दबाव बढ़ गया है। पंजाब सरकार द्वारा अगले सप्ताह में एसएपी तय करने की संभावना है। हरियाणा सरकार ने एसएपी 210-220...
More »किसान मरे नहीं तो क्या करे--- देविंदर शर्मा
भारत में किसानों की आत्महत्या को लेकर छिड़ी बहस के बीच अमरीका में किसानों को अनुदान दिए जाने के बारे में एक दिलचस्प रिपोर्ट आई. 1997 से 2008 के बीच भारत में करीब दो लाख किसानों ने बढ़ते कर्ज के कारण होने वाले अपमान से बचने के लिए अपनी जान देने का आत्मघाती कदम उठाया. इन किसानों को सरकार से किसी प्रकार की सीधी सहायता नहीं मिली थी. अमरीका ने 1995...
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