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ब्रेन फ़ॉग क्या है? मेनोपॉज़ से पहले महिलाओं को क्यों होती है याददाश्त से जुड़ी परेशानियां?

-बीबीसी,  करियर के शुरुआती दिनों में न्यूयॉर्क के लेनॉक्स हिल अस्पताल की न्यूरोलॉजिस्ट गायत्री देवी और उनकी सहयोगियों ने एक ग़लती कर दी. उन्होंने मेनोप़ॉज़ से ग़ुज़र रही एक महिला को अलज़ाइमर का मरीज़ समझ लिया. कई दौर के उपचार के बाद महिला के स्वास्थ्य में सुधार हुआ और डॉक्टर गायत्री ने महसूस किया कि इसके शुरुआती लक्षण- भूल जाना और ध्यान भटकना हैं. इन लक्षणों के पीछे दूसरे कारण थे. मरीज़ के...

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जब कार्टूनिस्ट देश के लिए ख़तरा बन जाए

-न्यूजलॉन्ड्री, एक कार्टून बनाया गया. कार्टून बन गया. जो कार्टून बना, उसे हंसना आता तो है, पर दूसरों पर. बुरा लग गया. रायता इसके बाद फैला. किसे अंदाज़ा होगा कि कार्टूनिस्ट से कुपित होने वाला ये पूरा प्रसंग देश के हालात और उसके वक़्त का एक हलफिया बयान बन जाएगा. लोगों के वोटों से बनी सरकार उन लोकतांत्रिक मूल्यों की ऐसी-तैसी करने में लगी है, जहां असहमति, आलोचना और अभिव्यक्ति की...

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#Exclusive: भगोड़े, धोखाधड़ी के आरोपी हरीश पाठक से राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने खरीदी जमीन

-न्यूजलॉन्ड्री,  हरीश पाठक का नाम याद रखिए. राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा कथित तौर पर मोटे पैसे का हेरफेर करके जो ज़मीन खरीदी गई है उसके केंद्र में हरीश पाठक हैं. हरीश पाठक और उनकी पत्नी कुसुम पाठक वो शख्स हैं जिनसे दो करोड़ में जमीन खरीद कर सुल्तान अंसारी और रवि मोहन तिवारी ने दो मिनट के भीतर राम जन्मभूमि ट्रस्ट को 18.5 करोड़ में बेंच दी. लेकिन हरीश पाठक...

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कभी न भूलें: कोविड-19 से बचे एक पीड़ित की अपील

-न्यूजक्लिक, नोबेल पुरस्कार विजेता और होलोकॉस्ट(हिटलर के नरसंहार) में बच गये एली विज़ेल ने कहा था,'तटस्थता पीड़ित को नहीं,बल्कि उत्पीड़क को मदद पहुंचाती है। मौन उत्पीड़ित को नहीं,बल्कि ज़ुल्म करने वालों को ही हमेशा प्रोत्साहित करता है।' इसी रौशनी में कोविड-19 के प्रकोप से बच गयी तान्या अग्रवाल हाल के इतिहास में किसी सरकार की सबसे बुरी व्यवस्थागत नाकामियों और ज़िम्मेदारियों की अनदेखी को कभी नहीं भूलने के सिलसिले में लिखती हैं। तान्या...

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क्या तीसरी लहर से पहले खुल पाएंगे ग्रामीण PHC और CHC में लटके ताले?

-जनपथ, कोरोना की दूसरी लहर का सामना करने के बाद जिंदा बचा समाज खुद अपनी पीठ थपथपा रहा है। समाज और यूं कहें कि व्यक्तिगत तौर पर सुकून इस बात का है कि इस बार बच गये लेकिन भीतर खौफ ये कि अगर अगली बारी हमारी हुई तो क्या होगा? खौफ इस बात का है कि जिस सरकार को वोट देकर तख्त पर बिठाया है वो तो राजनीति में व्यस्त है।...

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