चार साल के दौरान पुलिस अधीक्षक, अपर कलेक्टर, इंजीनियर जैसे तमाम अधिकारियों सहित लगभग 200 सरकारी कर्मचारियों की खुदकुशी छत्तीसगढ़ में फैले भ्रष्टाचार और उस पर सरकारी संवेदनहीनता की तरफ इशारा करती है. राजकुमार सोनी की रिपोर्ट. केस- एक भारतीय पुलिस सेवा के 2002 बैच के अफसर एवं बिलासपुर जिले में पुलिस कप्तान की हैसियत से तैनात राहुल शर्मा ने इस साल 12 मार्च, 2012 को खुदकुशी कर ली थी. उन्होंने पुलिस ऑफिसर्स...
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सिस्टम से हार गई सैटेलाइट शिक्षा- मोहम्मद निजाम
रायपुर. राज्य के सरकारी स्कूलों में सेटेलाइट नेटवर्क की मदद से पढ़ाई करवाने का सरकारी प्लान हवा-हवाई साबित हो रहा है। वाहवाही लूटने और कमीशनबाजी के चक्कर में विभाग के अफसरों ने पिछले पांच सालों के अंदर राज्य की दो सौ से ज्यादा स्कूलों को एजुकेशन सेटेलाइट सिस्टम से जोड़ दिया। पूरे प्लान पर 10...
More »ग्रामीण खुद ही नहीं चाहते कि विकास हो, सीएम सड़क योजना अधर में
जगदलपुर. मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत होने वाले कार्य अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सके हैं। मुख्यमंत्री योजना की सड़कों के लिए महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना से राशि उपलब्ध कराई जा रही है। इसके बावजूद कहीं वन क्षेत्र होने के कारण तो कहीं किसी और वजह से काम अटका हुआ है।...
More »नक्सलियों को रंगदारी देने के मामले में सरकारी गवाह बनेगा बी. के. लाला
दंतेवाड़ा. एस्सार की ओर से नक्सलियों को 15 लाख रूपए की रंगदारी पहुंचाने के मामले में उस वक्त नया मोड़ आ गया, जब जमानत पर छूटे बीके लाला ने वायदा माफ गवाह बनने की अर्जी अदालत में पेश की। आरोपी ठेकेदार की ओर से एडवोकेट राहुल त्यागी ने एडीजे अनिता डहरिया की अदालत में यह आवेदन लगाया। अर्जी पर सुनवाई की तारीख 17 जुलाई तय की गई है। लाला की गिरफ्तारी बीते...
More »हिंसक प्रतिरोध कितना उचित- हर्षमंदर
बहुतेरी संस्कृतियों में अन्याय के प्रतिरोध को सर्वोच्च मानवीय दायित्व का दर्जा दिया गया है। इसी क्रम में एक बहस सदियों से जारी है और आज भी प्रासंगिक बनी हुई है। यह है अत्याचार और अन्याय के प्रतिरोध में हिंसा की वैधता। सवाल यह है कि अगर राज्यसत्ता के कुछ सशक्त प्रतिनिधि अगर अन्यायपूर्ण हो गए हों तो क्या उनके प्रतिरोध के लिए हिंसा उचित है? दूसरे शब्दों में क्या न्याय के...
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