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केंद्र की स्टेंट दर राज्य में भी मान्य, अस्पतालों में हड़कंप

रायपुर, नईदुनिया प्रतिनिधि। केंद्र सरकार के स्टेंट की दरें तय करने के फैसले के 16 दिन बाद राज्य सरकार ने गुरुवार को स्टेंट की दरें प्रदेश में लागू कर दीं। अब हर अस्पताल को तय दर पर ही स्टेंट लगाना होगा। छत्तीसगढ़ में वेयर मेटल स्टेंट 7260 रुपए और दवाई वाला (ड्रग इल्युटिंग स्टेंट्स, इन्क्लूडिंग मेटेलिक, डीईएस एंड बायोरिसॉर्वेबल वास्कुलर स्कॉफोल्ड बीवीएस बायोडिग्रेडेबल स्टेंट) स्टेंट 29600 रुपए में मिलेगा।   दरें पुराने...

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लोकतंत्र पर उठते सवाल-- अनुपम त्रिवेदी

देश में चुनावी माहौल है. कुछ प्रदेशों में चुनाव हो रहे हैं और कुछ में शीघ्र होनेवाले हैं. लगभग हर छह माह में कहीं न कहीं चुनाव होते हैं और इन्हें लोकतंत्र के पर्व की संज्ञा दी जाती है. भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक कैलेंडर में यूं ही रोज कोई न कोई त्योहार होता है. उन त्योहारों में चुनाव रूपी यह सरकारी त्योहार भी जुड़ गये हैं. सभी यह त्योहार...

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प्रदूषण के लिए सरकार जिम्मेवार-- डा. भरत झुनझुनवाला

देश के तमाम शहरों में वायु प्रदूषण ने गंभीर रूप धारण कर लिया है. लोग बीमार हो रहे हैं, परंतु सरकार निष्क्रिय है. सरकार के इस कृत्य को समझने के लिए प्रदूषण का गरीब तथा अमीर पर अलग-अलग प्रभाव को समझना होगा. अर्थशास्त्र में दो तरह के माल बताये जाते है- व्यक्तिगत एवं सार्वजनिक. व्यक्तिगत माल वे हुए, जिन्हें व्यक्ति अपने स्तर पर बाजार से खरीद सकता है जैसे चाय...

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'क्या नोटबंदी ने एक नए भ्रष्टाचार को जन्म दिया?'--- क़मर वहीद नक़वी

नोटबंदी में देश क़तारबंद है. आज एक महीना हो गया. बैंकों और एटीएम के सामने क़तारें बदस्तूर हैं. जहाँ लाइन न दिखे, समझ लीजिए कि वहाँ नक़दी नहीं है! प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि बस पचास दिन की तकलीफ़ है. तीस दिन तो निकल गए. बीस दिन बाद क्या हालात पहले की तरह सामान्य हो जायेंगे? क्या लाइनें ख़त्म हो जाएंगी? और क्या 30 दिसंबर के बाद जवाब मिल जाएगा...

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सरकारी राजस्व का सदुपयोग हो --- डा. भरत झुनझुनवाला

पांच सौ तथा हजार रुपये के नोट बंद करके सरकार ने साहसिक कदम उठाया है. आज देश में बड़े पैमाने पर नकद में धंधा हो रहा है, जिससे टैक्स से बचा जा रहा है. मुझे कभी-कभी हजारों पन्ने फोटोकाॅपी कराने पड़ते हैं. मेरे फोटोकाॅपियर मित्र इसकी रसीद नहीं देते हैं, चूंकि वे कागज को नकद में खरीदते हैं. इस कागज को बनानेवाली फैक्ट्री और बेचनेवाले दुकानदार भी टैक्स नहीं देते...

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