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ग्राम सभा की बात-- अनुज लुगुन

साल 2013 में ओडिशा के नियमगिरि में वेदांता के बॉक्साइट खनन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपनी ओर से कोई फैसला न सुनाते हुए वहां की ग्राम सभाओं को निर्णय देने का अधिकार दिया था. यह संभवत: स्वतंत्र भारत का ऐसा ऐतिहासिक फैसला था, जिसमें आदिवासियों ने अपने निर्णय से दुनिया की एक बड़ी कंपनी को मात दिया था. यह ग्राम सभा के द्वारा संभव हुआ था. ग्राम...

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आदिवासी स्त्रियों का शोषण रोकने सुरक्षा कवच जरूरी - रमेश नैयर

ढाई-तीन दशक से मनुष्यों का आखेट क्षेत्र बने हुए बस्तर के अनेक अप्रिय सच सामने आने लगे हैं। बस्तर की वे अल्हड़ युवतियां, जो घने जंगल में मुक्त विचरण करते हुए शेर और भेड़िये से भी नहीं डरा करती थीं, अब दो पैरों वाले नृशंस पशुओं की छाया से भी थरथराने लगी हैं। कटु सत्य यह है कि वे कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। बालिका छात्रावासों में शिक्षकों और अन्य...

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गौरी लंकेश मर्डर: विचारधारा बनाम गोली-- शेखर गुप्ता

गौरी लंकेश हत्याकांड के बारे में कई चीजें हैं। एक, वे शक्तिशाली वैचारिक नेता थीं। धुर वाम-उदार विचारधारा की निर्भीक तर्कवादी थीं। दो, नियमित रूप से उन्हें दी जाने वाली धमकियों के बाद भी साहस के साथ अपनी बात कहती थीं। तीन, जैसाकि ध्रुवीकृत वातावरण में होता है, उनसे सहमत होने वाले पूरे जुनून से उनके साथ थे। जो असहमत होते वे इस वैचारिक अखाड़े की दूसरी ओर से जवाब...

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कौन थीं ‘फायर ब्रांड’ पत्रकार गौरी लंकेश, जिनके तर्कवादी विचार ने बना दिये उनके दुश्मन?

बेंगलुरु : बेंगलुरु में मंगलवार रात ‘फायर ब्रांड' पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या कर दी गयी. उनकी हत्या उनके आवास के बाहर हुई. गौरी लंकेश की पहचान एक व्यवस्था विरोधी पत्रकार की थी, जो गरीबों और दलितों की हितैषी थीं. साथ ही उन्हें हिंदुत्वादी राजनीति का कट्टर विरोधी माना जाता था. कन्नड़ पत्रकारिता में कुछ महिला संपादकों में शामिल गौरी प्रखर कार्यकर्ता थीं जो नक्सल समर्थक थीं और वामपंथी विचारों...

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आधार के प्रयोग को रोकना उचित नहीं-- हरिवंश

यह बौद्धिक विमर्श और संवाद अपनी जगह है, पर बिचौलियों और भ्रष्टाचार को खत्म करना आज समाज की निगाह में व्यवस्था का सबसे प्रासंगिक और जरूरी मसला नहीं है? हाल ही में एक डच दार्शनिक विचारक व इतिहासकार रटजर बर्जमैन की महत्वपूर्ण किताब आयी है, ‘यूटोपिया फॉर रिअलिस्ट्स' (ब्लूम्सबेरी). यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बेस्टसेलर मानी गयी है. इस पुस्तक का मर्म है कि हम एक अप्रत्याशित उथल-पुथल के दौर में...

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