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निरक्षर अब पंचायत के दरवाजे से बाहर-- सुभाष गताडे

भू टान, लीबिया, केन्या, नाईजीरिया और भारत इन देशों में क्या समानता है? वैसे, पहले उल्लेखित चारों देश- जहां जनतंत्र अभी ठीक से नहीं आ पाया है, कहीं राजशाही तो कहीं तानाशाही, तो कहीं जनतंत्र एवं अधिनायकवाद के बीच की यात्रा चलती रहती है- और दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र कहलानेवाले भारत की किस आधार पर तुलना की जा सकती है? पिछले दिनों आये हरियाणा विधानसभा के एक फैसले...

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मुसलमानों को नागरिकता क्यों नहीं?- आकार पटेल

मैंने आप्रवासन (इमीग्रेशन) पर छपी एक खबर देखी, जिसके बाद मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि सरकार जो कर रही है क्या उस पर उसने सोचा भी है. ‘द हिंदू' की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘असम और पश्चिमोत्तर भारत के कुछ हिस्सों पर दूरगामी असर डालनेवाला एक कदम उठाते हुए, केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता कानून, 1955 में संशोधन करेगा, जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पाकिस्तान और बांग्लादेश से भाग...

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राजनीतिक दलों की निजता और आरटीआई - हृदयनारायण दीक्षित

जनतंत्र में दलतंत्र महत्वपूर्ण उपकरण है। दलों की मान्यता और पंजीयन के विधि स्थापित नियम हैं। दलों के अपने घोषित कार्यक्रम, संविधान, संगठन पद व संकल्प हैं। दल मूलत: राजनीतिक जनसंगठन हैं। दल चुनावों में हिस्सा लेते हैं। संगठन तंत्र के माध्यम से अपने पक्ष में जनमत बनाते हैं। जनसमर्थक मनमाफिक दल को चलाने या चुनावी जीत दिलाने के लिए चंदा देते हैं। दल कार्य संचालन के लिए विभिन्न् स्तर...

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नरेंद्र मोदी और व्हार्टन स्कूल ।। अश्वनी कुमार ।।

गुजरात के विवादित मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को व्हार्टन इंडिया इकोनॉमिक फोरम द्वारा यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिलवेनिया में मुख्य वक्ता के तौर पर आमंत्रित किये जाने पर पूरे विश्व में उदारवादियों और प्रगतिशील लोगों के मन में सवाल उठना जायज है. हिंदुत्व राजनीति के ‘पोस्टर ब्वाय’ को मिला विवादित आमंत्रण वापस लेने से यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिलवेनिया के संस्थापक और संयुक्त राज्य अमेरिका के निर्माण में अहम भूमिका निभानेवाले बेंजामिन फ्रैंकलिन को अवश्य ही...

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